Dr. Rajagopala Chidambaram Death: पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का निधन

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Scientist Dr. Rajagopala Chidambaram Death News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. राजगोपाल के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि “भारत की वैज्ञानिक और कूटनीतिक ताकत को मजबूत करने में डॉ. राजगोपाल की अहम भूमिका रही। वे भारत के परमाणु प्रोग्राम के निर्माताओं में से एक थे। आने वाली पीढ़ियां उनके किए कामों से प्रेरणा लेगी।

Scientist Dr. Rajagopala Chidambaram Death News: भारत के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का 88 वर्ष की उम्र में शनिवार सुबह निधन हो गया। बताया गया है कि मुंबई जसलोक अस्पताल में डॉ. राजगोपाल ने अंतिम सांस ली। देश में न्यूक्लियर वेपंस डेवलपमेंट में डॉ. राजगोपाल ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। साल 1974 के पोखरण टेस्ट में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। साल 1998 के पोखरण टेस्ट में उन्होंने वैज्ञानिको की टीम को लीड करने का काम किया। साल 1975 में उन्हें पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. राजगोपाल के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि “भारत की वैज्ञानिक और कूटनीतिक ताकत को मजबूत करने में डॉ. राजगोपाल की अहम भूमिका रही। वे भारत के परमाणु प्रोग्राम के निर्माताओं में से एक थे। आने वाली पीढ़ियां उनके किए कामों से प्रेरणा लेगी।”

पोखरण परमाणु टेस्ट को लीड किया

डॉ. राजगोपाल का जन्म साल 1936 में चेन्नई में हुआ। उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से पढ़ाई की। इसके अलावा उन्होंने साल 1974 के न्यूक्लियर टेस्टिंग टीम में अहम भूमिका निभाई।1998 में हुए दूसरे पोखरण परमाणु टेस्ट में उन्होंने टीम को लीड किया। डॉ. राजगोपाल को 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।1990 में उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर की जिम्मेदारी भी संभाली। साल 1993 से 2000 तक वे परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। वे भारत के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।

डॉ. चिदंबरम ने सुनाया था पोखरण का किस्सा

डॉ. चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में पोखरण परमाणु टेस्ट पर चर्चा करते हुए कहा था कि प्लूटोनियम को ट्रांसपोर्ट करना चुनौतीपूर्ण काम रहा। इस ऑपरेशन को पूरी तरह से सीक्रेट रखा गया था ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर इसकी भनक न लगे। प्लूटोनियम को मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) से पोखरण के लिए मिलिट्री ट्रक के जरिए लाया गया था. डॉ. चिदंबरम ने आगे बताया कि प्लूटोनियम इस तरह से पैक किया गया था कि जैसे यह किसी साधारण सामान हो। रात में एक जगह प्लूटोनियम ले जाने वाला काफिला रुका, तब प्लूटोनियम बनाने वाले डॉ. पीआर रॉय और मैं उसी बॉक्स के पास सोए। हालांकि आर्मी ने अलग से भी सोने का इंतजाम किया था। काफिले में शामिल जवान इस बात से हैरान थे कि आखिर उस बॉक्स में ऐसा क्या रखा था.

डॉ. राजगोपाल ने कहा था कि भारत को दूसरे देशों के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट की जासूसी करने की जरूरत नहीं है

डॉ. चिदंबरम ने जून 2024 में एक इंटरव्यू में कहा था कि पूरी दुनिया में सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है जो अपनी न्यूक्लियर टेक्नॉलोजी और प्रोजेक्ट्स में अकेला खड़ा है। बाकी देशों के प्रोजेक्ट में अलग-अलग देश अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को दूसरे देशों के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट की जासूसी और टेक्नॉलोजी चोरी करने की जरूरत नहीं है। हमारे पास अपनी ही वर्ल्ड क्लास विशेषज्ञों की टीम है।

DAE ने कहा-डॉ. राजगोपाल साइंस-टेक्नोलॉजी के अगुआ

भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी ने कहा ” उनके योगदान वजह से ही भारत दुनिया में परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित हुआ। उन्हें दुनिया की कई विश्विद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई। उनका जाना देश और हमारी साइंटिफिक कम्यूनिटी के लिए अपूरणीय क्षति है। वे साइंस और टेक्नोलॉजी के अगुआ थे.”

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