केंद्र सरकार के वर्तमान एजेंडों में शामिल “वन नेशन वन इलेक्शन” के बारे में तो आप जानते ही होंगे। बता दें कि इस नियम को लेकर एक नया अपडेट सामने आया है, दरअसल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में इस पर अपने विचार साझा किए हैं। इस दौरान उन्होंने बताया है कि अगर राष्ट्र में “वन नेशन वन इलेक्शन” होता है तो न सिर्फ राजनीतिक पार्टियों को बल्कि जनता को भी काफी लाभ होगा। बता दें कि रामनाथ कोविंद “वन नेशन वन इलेक्शन” के लिए गठित कमीशन के अध्यक्ष हैं और उन्होंने सोमवार 20 नवंबर को इस मामले पर कई बातें रखी है जिसका कई राजनीतिक दलों ने सपोर्ट भी किया है।
“वन नेशन वन इलेक्शन” को लेकर राम नाथ कोविंद ने क्या कहा..?
20 नवंबर को उन्होंने “वन नेशन वन इलेक्शन” को लेकर एक मीटिंग रखी थी जिसमें उन्होंने कहा..
“ये प्रथा अगर लागू होती है तो इसका फायदा केंद्र की सत्ताधारी पार्टी को मिलेगा. चाहे वो BJP हो, कांग्रेस हो या कोई दूसरा राजनैतिक दल हो.”
इसके आगे वह कहते है कि..
“हम सभी से अनुरोध कर रहे हैं कि वे हमें अपना सकारात्मक समर्थन दें, क्योंकि यह राष्ट्रीय हित में है. इसका किसी पार्टी विशेष से कोई लेना-देना नहीं है. उदाहरण के तौर पर अगर इसे लागू किया गया तो इसका फायदा केंद्र में जो भी पार्टी सत्ता में होगी, उसे ही मिलेगा, चाहे वह बीजेपी हो या कांग्रेस या कोई अन्य राजनीतिक दल. इसमें कोई भेदभाव नहीं है. इसका सबसे बड़ा फायदा आम जनता को होगा. जो रेवेन्यू आएगा, उसका उपयोग विकास कार्यों में किया जा सकेगा.”
क्या होता है “वन नेशन वन इलेक्शन”?
“वन नेशन वन इलेक्शन” एक ऐसी विचारधारा है जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित कराया जाता है. वर्तमान में यह केंद्र सरकार का एक मुख्य एजेंडा भी है। इस नियम को लागू करने के पीछे केंद्रीय विचार यह है कि लोकसभा चुनाव के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव को संक्रमित किया जा सके ताकि देश भर में चुनाव की आवृत्ति को काम किया जा सके। यह विचार कोई अचानक से प्रकट हुआ विचार नहीं है बल्कि इसके बारे में काफी दशकों से बात होती आई है। वर्ष 1967 तक यह अवधारणा भारत में प्रचलित भी थी लेकिन दल बदल बर्खास्तगी और सरकार के विघटन के कारण यह व्यवस्था बाधित हो गई थी और अब एक बार पुनः सरकार इस नियम को लागू करना चाहती है।
वन नेशन वन इलेक्शन के लाभ..
देश के किसी न किसी हिस्से में कम से कम हर तीसरे महीने पर कोई ना कोई चुनाव आयोजित होता रहता है। अगर देश में यह नियम लागू हो जाता है तो एक बार में ही पूरे देश में चुनाव हो जायेंगे और इससे हमारी अर्थव्यवस्था को काफी लाभ होगा। साथ ही अगर देश में एक बार में ही चुनाव हो जाता है तो ऐसे में सभी मंत्रियों का ध्यान इलेक्शन से हटकर बाकी के मुद्दों पर जायेगा।