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EPISODE 47: कृषि आश्रित समाज के भूले बिसरे मिट्टी की वस्तुए या बर्तन FT. पद्मश्री बाबूलाल दहिया

babu lal dahiya

babu lal dahiya

Babu Lal Dahiya: कल हमने इस श्रंखला में लौह शिल्पियों के खुद के कार्य में आने वाले कई उपकरणों की जानकारी दी थी। आज कुछ अन्य समुदायों के लौह उपकरणों की जानकारी भी प्रस्तुत है।

रांपी


यह लगभग 3 इंच लम्बा दो इंच चौड़ा चापट धार का लकड़ी के बेंट युक्त चर्म शिल्पियों का एक उपकरण होता है। इससे चर्म शिल्पी शोधे हुए चमड़े को काट कर चर्म वस्तुएं बनाते हैं।

फरहा

यह लगभग 6 इंच लम्बा चौड़ा धार दार चर्म शिल्पियों का मरे हुए पशु के चमड़े उतारने का एक उपकरण होता है । लौह शिल्पी इसे चर्म शिल्पियों के काम के लिए ही बनाते हैं। पर अब यह चलन से बाहर है।

सूजा सुतारी


यह चर्म शिल्पियों का चमड़े की सिंलाई करने का एक सूजा होता है जिसमें फँसा कर चमड़े को सिला जाता है।

नाई का छुरा

यह लगभग चार इंच लम्बा 1 इंच चौड़ा पतली धार का एक उपकरण होता है।प्राचीन समय में लौह शिल्पी द्वारा बनाए गए उस्तरे से ही नाई लोग दाढ़ी और सिर का मुंडन आदि करते थे।पर अब आधुनिक उपकरण आ जाने से यह चलन से बाहर हैं।

नाई की नहन्नी

नहन्नी हाथ पैर के नाखून काटने की 6 इंच लम्बी पतली एक उपकरण होती है जो नाई के औजारों में शामिल है। यह संस्कारों से जुड़े होने के कारण अभी भी चलन में है। क्योकि बघू के द्वरागवन के समय नाखून काटने की जो रश्म होती है उसमें इसी नहन्नी से ही नाखून काटे जाते हैं।

भेड़ के बाल काटने की कैंची


यह लगभग एक हाथ लम्बी लौह की कैंची होती है जिसमें भेड़ पालक ऊँन हेतु अपनी भेड़ों के बाल काटते हैं।

बशोर का बांका


यह बाँस छील कर उसकी विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाने केलिए उपकरण होता है जो 9 इंच लम्बा एवं 3 इंच चौड़ा बनता है। इसका ऊपर का भाग चपटा मोटा होता है पर नीचे पतला।

सिंगरहा की रांपी


सिंगरहा की रांपी सिंघाड़ा काटने के लिए बनती है अस्तु इसकी लम्बाई मात्र 4 इंच ही होती है । इसका दो इंच बेंट से निकला लोहे का भाग और पकड़ने के लिए उतनी ही मूँठ रहती है पर इसका निचला भाग चौड़ा होता है।
आज के लिए बस इतना ही कल फिर मिलेंगे नई जानकारी के साथ।

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