Foreign Investment Limit : भारत सरकार अब पब्लिक सेक्टर के सभी बैंकों में foreign Investment Limit यानी विदेश से होने वाले निवेश की सीमा बढ़ाने में है। वर्तमान में ये सीमा 20 प्रतिशत है जिसको बढ़ाकर 49% करने का विचार किया जा रहा है।
ये फैसला भारत के बैंकिंग सेक्टर में ऐतिहासिक सुधार स्थापित करने वाला हो सकता है क्योंकि इससे न केवल पूंजी का प्रभाव बढ़ सकेगा बल्कि सरकारी बैंकों की फाइनेंसियल स्थिति में भी सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है।
क्या है सरकार का नया प्रस्ताव?
कुछ रिपोर्टर्स के अनुसार केंद्र सरकार सार्वजनिक बेहतररों के बैंकों में विदेशी निवेश करके उसकी अधिकतम सीमा को 20% से बढ़कर 49% करने पर विचार कर रही है हालांकि सरकार अपनी 51% की हिस्सेदारी को बनाए रखना चाहती है ताकि उसका नियंत्रण पूरी तरह से उसके पास रहे।
इसके साथ-साथ एक और भी प्रावधान जोड़ा जा सकता है कि किसी भी विदेशी निवेश करने वाले लोगों को अधिकतम 10% की वोटिंग का अधिकार ही दिया जाए ताकि बैंक का नियंत्रण किसी एक निवेश करने वाले के हाथ में नहीं जा पाए।

Foreign Investment बढ़ाने के फायदे
पूंजी की उपलब्धता में वृद्धि: सरकारी बैंकों को अधिक फंडिंग मिल सकेगी जिससे वह नए कर्ज देने और अपने नेटवर्क को और भी मजबूत करने में सक्षम हो पाएंगे।
नवाचार और तकनीकी सुधार: विदेश के निवेश करने वाले लोगों के अनुभव और टेक्नोलॉजी से बैंकिंग सेक्टर में डिजिटल बदलाव भी तेजी से बढ़ सकता है।
प्रतिस्पर्धा और प्रदर्शन में सुधार: विदेश के लोगों की भागीदारी से पीएसयू बैंक की कार्य प्रणाली प्राइवेट बैंकों के समान पारदर्शी और कुशल बन पाएगी।
शेयर बाजार को बूस्ट: यह महत्वपूर्ण कदम निवेश करने वाले लोगों के लिए एक पॉजिटिव सिग्नल की तरह होगा बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में तेजी देखने को भी मिल सकती है।
कुछ चुनौतियाँ भी होंगी
विदेशी निवेश होने से बैंकों के सामाजिक दायित्व पर असर पड़ सकता है ग्लोबल मार्केट में भी इसका प्रभाव उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है लेकिन अब पीएसयू बैंक पर भी इसका असर दिखेगा।
नीतिगत स्थिरता बनाए रखना सरकार के लिए एक बेहतर चुनौती होगी ताकि विदेशी निवेशक विश्वास बनाए रखें।
भारत के बैंकिंग सेक्टर पर संभावित असर
अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो भारत के सरकारी बैंकों को पूंजी तकनीक और ग्लोबल अनुभव तीनों से लाभ मिल पाएगा इससे बैंक अपनी नान परफॉर्मिंग ऐसेट को घटाने और डिजिटल बैंकिंग पर ध्यान केंद्रित करने में सफल हो पाएगी। यह महत्वपूर्ण कदम भारत को ग्लोबल बैंकिंग पावर हाउस बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है।
सरकार का यह प्रस्ताव न केवल Foreign Investment Limit को बढ़ाने तक सीमित है बल्कि यह भारत के बैंकिंग सेक्टर को एक आधुनिक प्रतिस्पर्धी और निवेशक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है अगर यह योजना लागू होती है तो आने वाले सालों में पीएसयू बैंकों की छवि पूरी तरह से बदल सकती है।

 
		 
		 
		