मध्यप्रदेश में पहली बार 1000 ड्रोन से सजा आकाश, विक्रमोत्सव में सुश्री श्रेया घोषाल ने दी प्रस्तुति, सिंहस्थ-गान लांच

उज्जैन। भारतीय नववर्ष विक्रम सम्वत् 2082 चौत्र शुक्ल प्रतिपदा के शुभ अवसर पर उज्जैन में विक्रमोत्सव के प्रसंग में आयोजित कार्यक्रम ने ऐसी छठा बिखेरी के हर कोई उसे देखकर मुंत्रमुग्ध हो गया। कार्यक्रम में विक्रम ध्वज का अनावरण किया गया और आकर्षक आतिशबाजी की गई। कार्यक्रम में 1000 ड्रोन के माध्यम से आकर्षक ड्रोन शो की प्रस्तुति दी गई। मध्यप्रदेश के लिए पहला अवसर है, जब 1000 ड्रोन के माध्यम से विभिन्न तत्वों को यहां आकाश में दिखाई दिए। यह सबसे बड़ी बात है ड्रोन शो के जरिए भगवान श्रीमहादेव और माता पार्वती की आकृतियां और सूर्य, चंद्र, तारे और सारे नक्षत्र आकाश में चलते हुए दिखाई दिए। इस अवसर पर सिंहस्थ गान भी लांच किया गया। कार्यक्रम में पार्श्व गायिका सुश्री श्रेया घोषाल द्वारा भजनों और गानों की ऐसी मनमोहक प्रस्तुति दी गई की हर कोई झूम उठा।

भारतीय नववर्ष प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन और निर्माण की प्रेरणा

राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि नववर्ष का यह पर्व विविध स्वरूपों में मनाया जाने वाला एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को स्थापित करता है। इसे कहीं गुड़ी पड़वा तो कहीं चेटीचंद अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। इसी के साथ नौ दिन आरोग्य, साधना और कायाकल्प के नवरात्र का भी आरंभ होता है। राज्यपाल ने कहा कि विक्रम सम्वत् वर्ष का प्रवर्तन भारतीय सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा विदेशी आक्रांताओं को पराजित कर, उनके राज्यभिषेक के दिन से होता है। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि नव सम्वत्सर की तिथि सृष्टि निर्माण की तिथि है, जिसका निर्धारण संपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ हुआ है। वास्तव मे भारतीय नववर्ष चौत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन ऋतु परिवर्तन के अनुरूप स्वयं को सक्षम बनाने का समय है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि भारतीय नववर्ष प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन और निर्माण की प्रेरणा देता है, जिसमें सृष्टि, संस्कृति और समाज का संगम है। ऋतुकाल संधि के इन दिनों में नवचेतना, नवजागृति का संदेश है। इसे मनाने की परंपरा व्यक्ति, परिवार और समाज, तीनों के स्वस्थ जीवन और समृद्धि को ध्यान में रखकर शुरू की गई। यह हम सब प्रदेशवासियों के लिये गर्व और गौरव का विषय है कि भारतीय नववर्ष विक्रम सम्वत् उज्जयिनी से शुरू हुआ है। सम्राट विक्रमादित्य का सारी दुनिया में न्यायप्रियता, ज्ञानशीलता, धैर्य, पराक्रम, पुरुषार्थ, और वीरता जैसी विशेषताओं के लिए स्मरण किया जाता है।

सीएम ने कहा मानो आज सम्राट विक्रमादित्य स्वयं…

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन नगरी सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल की नगरी है। उज्जयिनी वह नगरी है जिसमें योगीराज श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की तो अनेक राजा महाराजाओं ने अपने न्याय प्रिय शासन से दुनिया को न्याय की ओर मोड़ा। आज का दृश्य देख कर लग रहा है मानो आज सम्राट विक्रमादित्य स्वयं इस नगरी में पधारे हैं। हम सबके लिए यह सौभाग्य की बात है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में श्रीमहाकाल महालोक का निर्माण हुआ और भगवान श्री महाकालेश्वर की नगरी का वैभव और बड़ा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनका शासन काल रामराज्य की याद दिलाता है। हमारी सरकार भी निरंतर जनता की बेहतरी के लिए कार्य कर रही है। विक्रमादित्य ने अपने पुरुषार्थ से अपनी प्रजा का ध्यान रखा और सदैव प्रजा की रक्षा की। उन्होंने जनता का कर्ज माफ किया। उन्होंने विक्रम संवत का प्रवर्तन करते हुए सनातन परंपरा की पुनर्स्थापना की। सम्राट विक्रमादित्य की न्याय परंपरा का लोहा आज भी माना जाता है। उनकी न्याय प्रियता हजारों साल से जानी जाती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केंद्रीय मंत्री डॉ. मेघवाल से अनुरोध किया कि भविष्य में उज्जैन में न्याय से जुड़ी राष्ट्रीय संस्था सम्राट विक्रमादित्य के नाम से प्रारंभ की जाए।

राजस्थान और एमपी के बीच बने टूरिस्ट सर्किल

केंद्रीय मंत्री डॉ. मेघवाल ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के शासन का प्रभाव अफगानिस्तान तक था। वे राजस्थान के बीकानेर से आते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान और एमपी के द्वारा भविष्य में टूरिस्ट सर्किल बनाए जाने के लिए कार्य योजना बनाई जाएगी। इस टूरिस्ट सर्किट से राजा भर्तहरि और सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल से जुड़ी अभिनव विरासत को देखने समझने का अवसर पर्यटकों को मिलेगा। यह टूरिस्ट सर्किट से राजस्थान आने वाला पर्यटक मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश आने वाला पर्यटक राजस्थान जरूर जाएगा, इससे पर्यटकों में एक नया भाव जागेगा जो दोनों प्रदेशों की विरासतों को वैश्विक ऊचाईयों तक ले जाएगा।

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