Female Genital Mutilation: ‘खतना’धर्म की आड़ में निर्दयता!

female genital mutilation

Female Genital Mutilation, harmful practices on females: सोचिये,आप महज़ 7-8 साल के हैं.आपसे बिना कुछ बोले किसी अंधेरे कमरे में ले जाया जाता है और जबरदस्ती आपके जेनिटल्स का एक हिस्सा काट दिया जाता है.आप दर्द में चीखती हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं और ये सब करने वाला कोई और नहीं बल्कि आपके अपने परिवार वाले हैं.ऐसा फिजिकल और मेन्टल ट्रामा जो समय के साथ हील ही नहीं होता। Female Genital Mutilation, खफ़्ज़ या खतना ये एक ऐसी कुप्रथा है जो धर्म के नाम पर आज भी कई देशों में प्रैक्टिस की जाती है और सबसे ज्यादा प्रचलित है अफ्रीका के पूर्वी,पश्चिमी और उत्तरीपूर्व क्षेत्रों में,एशिया के कई देशों में,मिडिल ईस्ट,लैटिन अमेरिका और इन क्षेत्रों से पलायन करके उत्तरी अमेरिका और यूरोप गए लोगों में. UNICEF के मुताबिक मिश्र में 15 से 50 साल की 87 फ़ीसदी महिलाओं का खतना हो चुका है और यहाँ  के 50 फ़ीसदी लोग इसे जरुरी धार्मिक कर्मकांड मानते हैं.

खतना या Female Genital Mutilation क्या है?

What is Female Genital Mutilation: Clitoris,ये वो फीमेल सेक्सुअल ऑर्गन है जिससे महिलाओं को सेक्सुअल प्लेज़र मिलता है.क्लाइटोरिस काफी नाजुक हिस्सा है और इसके ऊपर का हिस्सा है क्लिटोरलहुड जो क्लाइटोरिस के हेड पे होता है और उसके प्रोटेक्शन के तौर पर काम करता है.इसी क्लिटोरल हुड को काट दिया जाता है जब कोई लड़की 7 साल या उससे ज्यादा उम्र की होती है और जो ऐसा करते हैं उनकी मान्यता है कि ये लड़कियों को शादी के लिए तैयार करता है और उन्हें शुद्ध रखने के लिए ये  जरुरी है.ऐसा मात्र इसलिए किया जाता है ताकि महिलाओं को सेक्सुअल प्लेज़र या यौन सुख न मिले और वो शादी से पहले सेक्सुअल एक्टिविटीज में शामिल न हों और साथ ही शादी के बाद अडल्ट्री जैसी चीज़ों में शामिल न हों.चार तरीके हैं Female Genital Mutilation के क्लिटोरिस का पूरा हिस्सा निकाल देना 2. क्लिटोरिस के साथ लीबिया का हिस्सा भी निकाल देना 3. वेजाइनल ओपनिंग को सिल देना 4. क्लिटोरिस के हिस्से को थोड़ा सा छील देना या उसमें छेद कर देना।ज्यादातर ये देश के कई हिस्सों में मुसलमानों के दाऊदी बोहरा समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता है और ये समुदाय योनि के जिस हिस्से को काटा जाता है उसे हराम की बोटी कहता है.संयुक्त राष्ट्र ने इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए इसको अपने 17 Sustainable Goals में जगह दी है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों का हनन माना गया है.इसी दिशा में काम करते हुए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा साल 2003 से हर साल 6 फरवरी को International Day Of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation के तौर पर मनाया जाता है.

मासूमा रानाल्वी की खतना के खिलाफ लड़ाई

Who is Masooma Ranalvi: आज बात भारत की करेंगे।मासूमा रानाल्वी लॉ ग्रेजुएट हैं और महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं। ये We Speak Out नाम का एक संगठन चला रही हैं जिसमे उनके जैसी कई महिलाएं हैं जो इस प्रक्रिया से गुज़र चुकी हैं.ये संस्था female genital mutilation के खिलाफ लड़ाई लड़ रही  है.मासूमा रानाल्वी जब महज़ सात साल की थी उनकी दादी उन्हें आइसक्रीम दिलाने के बहाने बाहर ले गईं और उनका चुप चाप तरीके से खतना कर दिया गया.वो बताती हैं कि उस वक्त जबरदस्त दर्द हुआ.ऐसा दर्द जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती और उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि आखिर उनके साथ हुआ क्या और यही ज्यादातर लड़कियों के साथ है. उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनके साथ हो क्या गया.भारत में बोहरा मुस्लिम समुदाय 1 मिलियन के करीब है और गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में रहता है.राइट्स ऑफ़ इक्वलिटी के एक लेख में मासूमा रानाल्वी बताती हैं कि भारत सरकार के पास इससे जुड़ा कोई डाटा नहीं है.We Speak Out की एक स्टडी में सामने आता है कि बोहरा समुदाय की 75 फ़ीसदी लड़कियां इस कुप्रथा से गुज़रती हैं.क्योंकि सरकार का इसपर कोई डाटा या स्टडी नहीं है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई स्टैंड लेना मुश्किल है.इस संगठन की लड़ाई में इस कुप्रथा को आधिकारिक पहचान दिलाना शामिल है.वो ये भी बताती हैं कि भारत में ज्यादातर लोगों को इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है.खुद बोहरा समुदाय के लोग इससे अनभिज्ञ हैं.

धार्मिक रूप से सही होने का तर्क!

Abp news ने आज से कुछ सालों पहले  इस पर एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसमे समीना कांचवाला The Dawoodi Bohra Women’s Association for Religious Freedom की सेक्रेटरी हैं वो कहती हैं कि ये हमारी धार्मिक प्रक्रिया है और हम सिर्फ ऊपरी त्वचा को हटाते हैं. क्लाइटोरिस को टच भी नहीं करते और इसमें सिर्फ कुछ मिनटों का समय लगता है.वो ये भी कहती हैं कि ये पूरी तरह से हार्मलेस है और ये इस्लाम के सात पिलर में से एक तहारत का एक हिस्सा है.इसलिए वो इसे करने में कुछ गलत नहीं मानती।

क्या सच में ये प्रक्रिया हार्मलेस है.जेनिटल एरिया जो शरीर बाकी हिस्सों से ज्यादा नाज़ुक है वहां बिलकुल असुरक्षितऔर ब्रूटल तरीके से एक हिस्से को काट देना क्या सच में एक साधारण सी बात है? 

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इस मुद्दे पर जब हमने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनामिका सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि खतना के कारन महिलाओं को PTSD,कई तरह के इन्फेक्शन और इस इन्फेक्शन का खून तक फ़ैल जाने के कारण सेप्सिस तक का खतरा होता है.साथ ही उन्हें सेक्सुअल प्लेज़र की जगह कष्ट का अनुभव होता है जो उनकी शादीशुदा ज़िन्दगी और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है.

भारत सरकार के पास नहीं है कोई डाटा

साल 2017 में एक याचिका के जवाब में महिला बाल विकास मंत्रालय का कहना था कि उनके पास कोई डाटा नहीं है लेकिन 2018 की the guardian की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये प्रक्रिया बोहरा मुस्लिम समुदाय में प्रचलित है खासकर महाराष्ट्र,गुजरात,केरला,राजस्थान और मध्य प्रदेश में.इस रिपोर्ट का बेसिस we speak out का सर्वे ही था.

खतना के दूरगामी दुष्परिणाम

side effects of female genital mutilation: बहुत सी महिलाएं जो इस प्रक्रिया से गुजरी हैं उनमे पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर,सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान दर्द,इन्फेक्शन,कैंसर और कई तरह की बीमारियां झेलती हैं. यही नहीं ज्यादातर मामलों में anaesthesia का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता।कई मामलों में ज्यादा खून बहने से लड़कियों की मौत भी हो जाती है और सबसे दुःख की बात है कि इस प्रक्रिया में शामिल होने वाली ज्यादातर औरतें होती हैं.खतना को कनाडा, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, डेनमार्क, यूके, अमरीका और स्पेन जैसे कई देश गैर-कानूनी घोषित कर चुके हैं. भारत सरकार कब इसे आधिकारिक पहचान देती है ये देखने वाली बात है.हाँ,धर्म अगर आड़े आता है तो हमे ये जान लेना जरुरी है कि ये धार्मिक नहीं बल्कि मानवाधिकार का मुद्दा है.

मुद्दे के कानूनी पक्ष और स्वास्थ्य पर इसके दुष्परिणामों को समझने के लिए देखिये हमारा वीडियो-

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