Abu Dhabi’s first Hindu temple: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में जिस मंदिर का 14 फरवरी को उद्घाटन करेंगे उसे वैज्ञानिक तकनीकों और प्राचीन वास्तुकला विधियों का उपयोग करके बनाया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में जिस मंदिर का उद्घाटन करेंगे उसे वैज्ञानिक तकनीकों और प्राचीन वास्तुकला विधियों का प्रयोग करके बनाया गया है. दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के पास स्थित बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा निर्मित यह हिंदू मंदिर लगभग 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है.
300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं
Abu Dhabi’s first Hindu temple: इस मंदिर में तापमान मापने और भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उच्च तकनीकि वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं. मंदिर निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नींव को भरने के लिए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख (फ्लाई ऐश) का उपयोग किया गया है. इस मंदिर को लगभग 700 करोड़ रूपए की लागत से बनाया गया है.
मंदिर में वास्तुकला पद्धतियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है
Abu Dhabi’s first Hindu temple: मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, इस भव्य मंदिर को शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार बनाया गया है. शिल्प और स्थापत्य शास्त्र ऐसे हिंदू ग्रंथ हैं, जो मंदिर के डिजाइन और निर्माण की कला का वर्णन करते हैं. BAPS के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने कहा कि इसमें वास्तुकला पद्धतियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. तापमान, दबाव और गति को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर उच्च तकनीकि वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं. सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे। यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है, तो मंदिर इसका पता लगा लेगा।
मंदिर में गर्मी प्रतिरोधी नैनो टाइल और भारी ग्लास पैनल का उपयोग किया गया
Abu Dhabi’s first Hindu temple: मंदिर के निर्माण प्रबंधक मधुसूदन पटेल का कहना है कि हमने मंदिर में गर्मी प्रतिरोधी नैनो टाइल और भारी ग्लास पैनल का उपयोग किया है जो पारंपरिक सौंदर्यात्मक पत्थर संरचनाओं और आधुनिक कार्यक्षमता का मेल है. संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान के बावजूद श्रद्धालुओं को गर्मी में भी इन टाइलों पर चलने में दिक्कत नहीं होगी। मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है.
मंदिर के दोनों ओर बह रहा गंगा और यमुना का जल
मंदिर के दोनों तरफ गंगा और यमुना का पवित्र जल बह रहा है जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से लाया गया है. मंदिर प्राधिकारियों के मुताबिक जिस ओर गंगाजल बहता है वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है. मंदिर के आगे के हिस्से में पर बलुआ पत्थर पर उत्कीर्ण संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है. मंदिर के लिए उत्तरी राजस्थान से भारी संख्या में गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया है.