FCI 2025: वैश्विक बाजार में भारत की विभिन्न नीतियाँ अब धीरे-धीरे रंग ला रही है। भारत में गेहूं और चावल के भंडार (crop reserve of india) पहले से ज्यादा हो गए हैं जिसके चलते वैश्विक बाजार पर भारी प्रभाव पड़ने वाला है। अधिक चावल के भंडार होने की वजह से भारत जहां एक ओर निर्यात बढ़ा सकता है वहीं वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में स्थिरता भी आ सकती है और इस बात का सीधा लाभ भारत की अर्थव्यवस्था को मिल सकता है जिससे भारत वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (global food supply chain)में और ज्यादा मजबूत देश बन सकता है।

2025 के उत्पादन में हुई है इतनी वृद्धि
पिछले कुछ समय से भारत सरकार गेहूं और चावल के भंडार बढ़ाने पर फोकस कर रही है जिसके चलते हुए सरकार विभिन्न प्रकार की सब्सिडियां किसानों(pmkvy 2025) को प्रदान कर रही है। इसी क्रम में हाल ही में वर्ष 2024 के आंकड़ों के अनुसार सरकारी गोदाम में गेहूं का भंडार 1.8 करोड़ टन पर पहुंच गया जो पिछले वर्ष की तुलना में 57% से अधिक है। चावल के भंडार भी 6.30 करोड़ टन पर पहुंच गए हैं जो निर्धारित लक्ष्य 1.36 करोड़ तन से कहीं ज्यादा है।
बात करें भारत के वैश्विक बाजार में खाद्यान्न स्थिति की तो भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। वैश्विक बाजार में भारत करीबन 40% हिस्सेदारी निभाता है और दुनिया भर को चावल निर्यात करता है। ऐसे में भारत में चावल का सबसे ज्यादा भंडार होने के चलते अब चावल के दामों में स्थिरता तो आएगी ही वही भारत की अर्थव्यवस्था को भी सीधे तौर से फायदा मिलेगा।
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भारत के गेहूं चावल के रिकॉर्ड स्तर भंडारण का क्या लाभ होगा( benefit to indian economy)
भारत के गेहूं चावल के रिकॉर्ड स्तर भंडारण की वजह से खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, देश में यदि आपातकाल या आपूर्ति संकट आता है तो खाद्यान्न की कोई कमी नहीं होगी।
वहीं ज्यादा भंडारण होने की वजह से महंगाई पर नियंत्रण होगा और किसानों को सीधा फायदा देखने के लिए मिलेगा।
इसके साथ ही विभिन्न अन्न योजनाओं को सरकार द्वारा समर्थन दिया जाएगा इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी गेहूं और चावल के दामों में स्थिरता आएगी ।
साथ ही एशिया और अफ्रीका के गरीब देश जो भारतीय अनाज पर निर्भर है उन्हें भी सस्ते दामों में यह खाद्यान्न उपलब्ध कराए जाएंगे।
कुल मिलाकर सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में कई गुना गेहूं और चावल का भंडारण सुनिश्चित हो पाया है जिसके वजह से भारतीय खाद्य निगम के लक्ष्य तो पूरे हुए ही हैं, साथ ही वैश्विक स्तर पर भी भारत को अब काफी स्थिरता प्राप्त होगी जिससे निश्चित ही भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा।