Farooq Nazki: प्रसिद्ध कश्मीरी कवी,पत्रकार और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मीर मोहम्मद फारूक नाजकी (Farooq Nazki)का मंगलवार को कटरा के एक अस्पताल में निधन होगया। वह 83 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे. मंगलवार की रात दिल का दौड़ा पड़ने से उनका निधन होगया। उनके परिवार में में दो बेटियां और एक बेटा है. पिछले कुछ वर्षों से उनकी सेहत ठीक नहीं थी और वह अपने बेटे के साथ जम्मू में रह रहे थे.
फारूक नाजकी (Farooq Nazki) आकाशवाणी और दूरदर्शन में कई पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वर्ष 1995 में उन्हें कविता संग्रह ‘नार ह्युतुन कंज़ल वानास कश्मीरी भाषा के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. फारूक नाजकी कश्मीरी और उर्दू भाषा के विद्वान थे. उन्होंने एक कवी,नाटकार और प्रसारक के रूप अपनी पहचान कायम की.
श्रीनगर दूरदर्शन और आकाशवाणी के निदेशक रहे फारुखी नाजकी बांदीपोरा जिले के मदार गांव के रहने वाले थे. उनके पिता मीर गुलाम रसूल नज़क कश्मीर के सुप्रसिद्ध कवी, लेखक ,प्रसारक और शिक्षक थे.
फारूक नाजकी (Farooq Nazki) ने अपने करियर की शुरुआत जमींदार नामक समाचार पात्र से शुरू किया था. इसके बाद 1986 से 1997 तक श्रीनगर स्थित दूरदर्शन और ाआकाशवानी केंद्र में निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दी. वे जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के मीडिया सलाहकार भी रहे थे. उर्दू में उनका कविता संग्रह आखिरी ख़्वाब से पहले काफी चर्चित रहा है. उन्होंने अपनी कश्मीरी पुस्तक के लिए जम्मू और कश्मीर संस्कृति, कला,और भाषा अकादमी का सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार भी जीता। मीडिया योगदान के लिए उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के लिए जम्मू कश्मीर सरकार का स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा फारूक नाजकी ने एशियाड 1982 में सर्वश्रेष्ठ मीडिया नियंत्रक का पुरस्कार जीता।