Farmers troubled in purchasing wheat at support price: रीवा समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद शुरू हो गई है, लेकिन नियमित रूप से उपार्जन का उठाव और परिवहन नहीं किए जाने से किसान मुश्किल में हैं। क्योंकि उनके उपज की तौल और खरीदे गए गेहूं का भुगतान प्रभावित हो रहा है। किसानों के मांग है कि खरीद के साथ ही उठाव और भुगतान भी कराया जाए।
फसल के देरी के कारण रीवा में 11 अप्रेल से गेहू की समर्थन मूल्य में खरीदी शुरू हुई है। किन्तु परिवहन ना होने से जो खरीदी केन्द्र, गोदामों में नहीं है वहां किसान लगातार जगह की कमी के कारण परेशान हैं। स्थानीय कृषि उपज मंडी रीवा के खरीदी केन्द्रों के शेड भर चुके हैं। करहिया मंडी में हालत यह है कि शेड के बाहर सड़कों पर खरीदी हो रही है। किसान सड़क पर ट्रैक्टर, ट्रालियों में गेहूं लेकिर खड़े हुए हैं। इस कड़ी धूप में किसानों की फजीहत हो रही है। इसी तरह की स्थिति जिलेभर के खरीदी केन्द्रों की बताई जा रही है। किसान रामजीत सिंह ने बताया कि खरीदी के सात दिनों के अन्दर भुगतान होना चाहिए लेकिन नौ दिन बाद भी उठाव ही नहीं हुआ तो भुगतान कैसे होगा। जिससे शादी-ब्याह के सीजन में किसानों की परेशानी बढ़ रही है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। हलांकि प्रशासन के अधिकारी उठाव और भुगतान की बात कह रहे हैं।
किसानों को नहीं दी जाती जानकारी
खरीदी केन्द्रों में एक बोरी में तौल कितनी है और इसके कितने रुपए हैं, स्पष्ट तौर पर प्रत्येक किसान को जानकरी होनी चाहिए। किसानों को स्लाट बुक होते समय ही खरीदी केन्द्र की सुविधाओं के साथ तौल और भुगतान की जानकारी के साथ टोल फ्री नम्बर भी दिया जाना चाहिए। जिससे किसानों को परेशान नहीं होना पड़े।
व्यवस्था बदलें अन्यथा होगा आंदोलन
भारतीय किसान यूनियन मध्यप्रदेश प्रदेश के अध्यक्ष किसान सुब्रत ने कहा कि किसान, सरकार एवं प्रशासन की लगातार उपेक्षा का शिकार हो रता है। उठाव के बाद भुगतान की शर्ते बदलें जिससे खरीदी के चौबिस घन्टे के अन्दर किसानों को उनके गेहू के समर्थन मूल्य का भुगतान कराया जाए। शादी-ब्याह, कृषि यंत्रों की किस्ते, रोजमर्रा के खर्चे के लिए किसान को रुपए चाहिए। व्यवस्था बदलाव नहीं होगा तो किसान आन्दोलन के लिए बाध्य होगें।