Farmers Protest: एक बार फिर क्यों दिल्ली कूच कर रहे है किसान

Farmers Protest: हरियाणा के अंबाला के शंभू बॉर्डर से 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच करने की तैयारी कर रहा है। ये किसान पिछले आठ महीनें से शम्भू बॉर्डर पर धरना दे रहे थे और इस बार दिल्ली आकर अपनी मांग मनवाना चाहते है .

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पंजाब के तमाम किसान जो पिछले 8 महीने से शंभू बॉर्डर धरना प्रदर्शन दे रहे थे , वे शुक्रवार को दिल्ली कूच के लिए जब निकले तो पुलिस उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. किसानों का जत्था शंभू बॉर्डर से पैदल दिल्ली जाना चाहता है. किसानों ने इसे “दिल्ली चलो” आंदोलन नाम दिया है.

बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए लगाए गए थे बैरिकेड्स 

शम्भू बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड्स लगाए थे , जिसे किसानों ने उखाड़ डाला इस दौरान किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमने पुलिस से शांतिपूर्ण तरीके से अपील की है कि हमें आगे बढ़ने दिया जाए. मैंने अंबाला के एसपी से अपील की है कि या तो वे हमसे बात करें या हमें शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ने दें. हम दूसरे देश के लोग नहीं हैं. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए कि हम दुश्मन देश से आए हों.”

किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं के मुताबिक उनके समूह के चार सदस्य अब तक आंसू गैस के गोले दागे जाने से घायल हो चुके हैं.

किसानों के दिल्ली मार्च को लेकर हरियाणा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवा को 9 दिसंबर तक निलंबित कर दिया.

किसानों को रोकने के लिए इंतजाम

आपको बताते चले कि किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने सीमा पर गुरुवार से ही बैरिकेडिंग बढ़ा दी. पहले से तैयार सात-परतों वाले सुरक्षा सेटअप में तीन नई परतें जोड़ी गईं, जिसमें दीवारें, लोहे की कीलें, कांटेदार तार, जाल आदि शामिल हैं.

अंबाला जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया है, जिसमें जिले में पांच या उससे अधिक लोगों की किसी भी गैरकानूनी सभा पर प्रतिबंध लगाया गया है.

भारतीय किसान यूनियन-एकता और हरियाणा की कुछ और किसान संघ, अपनी मांगों को लेकर किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले दिल्ली की ओर बढ़ना चाहते हैं.

क्या हैं किसानों की मांग

गौरतलब है कि किसानों की कई कई मांगें हैं, जिनमें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, कृषि कर्ज की माफी, बिजली की कीमतें नहीं बढ़ाया जाना, किसान और खेत में काम करने वाले मजदूरों के लिए पेंशन जैसी मांगें शामिल हैं. इसके अलावा वे 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय”, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं.

मुख्य रूप से फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे किसानों ने पहले इसी साल 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली तक मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें पंजाब-हरियाणा सीमाओं शंभू और खनौरी बॉर्डर पर सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिया गया था.

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान तब से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.

यह भी देखें :https://youtu.be/46E6fFSLgkI?si=FWj_2Wr_LEEPKs_v

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