मॉल में मौजूद लोगों ने बताया कि बुजुर्ग किसान अपने बेटे के साथ जीटी मॉल में प्रवेश कर रहा था, तभी उसे सुरक्षा गार्ड्स ने रोक दिया। मैनेजमेंट के नियमों का हवाला देते हुए बताया गया कि धोती और पहने किसी भी व्यक्ति को अंदर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। गार्ड ने कथित तौर पर किसान से पेंट पहनने के लिए कहा, जिससे वह अपमानित और शर्मिंदा महसूस करने लगा था.
बेंगलुरु में मंगलवार 16 जुलाई को एक किसान को मॉल के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया गया था. अब इस मामले में मॉल के ऑनर और सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. किसान को उसके वेशभूषा के कारण उसे बाहर ही रोक दिया गया. दरअसल किसान ने धोती-कोर्ट और पगड़ी पहन रखी थी. इस घटना के बाद किसान संगठनों आक्रोश व्याप्त हुआ. संगठनों द्वारा मॉल के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई.
मॉल में मौजूद लोगों ने बताया कि बुजुर्ग किसान अपने बेटे के साथ जीटी मॉल में प्रवेश कर रहा था, तभी उसे सुरक्षा गार्ड्स ने रोक दिया। मैनेजमेंट के नियमों का हवाला देते हुए बताया गया कि धोती और पहने किसी भी व्यक्ति को अंदर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। गार्ड ने कथित तौर पर किसान से पेंट पहनने के लिए कहा, जिससे वह अपमानित और शर्मिंदा महसूस करने लगा था. इस घटना का वीडियो सोशल मिडिया पर जब वायरल हुआ तो मॉल विवादों में घिर गया. यूजर्स ने इस कृत्य की कड़ी आलोचना की.
किसान संगठनों ने की कार्रवाई की मांग
किसान संगठन ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और 17 जुलाई की सुबह मॉल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। साथ मैनेजमेंट से माफ़ी मांगने और उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि पुलिस कार्रवाई नहीं करती है, तो वे मॉल के अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। यह कोई नई घटना नहीं है कि जब किसी धोती-कुर्ता पहने व्यक्ति को बाहर कर दिया गया. इससे पहले गंदे कपड़ों के कारन मेट्रो में घुसने से मना करता दिया गया था.
मामले पर भाजपा ने कांग्रेस को घेरा
इस घटना पर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर भाजपा ने हमला बोला है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कर्नाटक में किसानों के साथ दुर्व्यवहार और अपमान किया जा रहा है. मॉल में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कर्नाटक के सीएम धोती पहनते हैं. धोती हमारी शान है. क्या किसानों में मॉल में टक्सीडो पहनना चाहिए? कर्नाटक कांग्रेस कैसे अनुमति दे रही है. राहुल बाबा कहां हैं? क्या यही किसानों के साथ न्याय है?
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