Facts About Draupadi | द्रौपदी के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप

Some Facts About Draupadi In Hindi: द्रौपदी महाभारत की प्रमुख नायिका थी। वह पांचाल के राजा ध्रुपद की कन्या थी। जबकि उसका विवाह पाँच पांडव भाइयों के साथ हुआ था। वह पांडवों के संघर्ष की साक्षी थी, वह बहुत ही दृढ़ स्वभाव की थी। उसको कई बार अपमानित होना पड़ा, लेकिन हर बार वह राजा के पास न्याय मांगने जाती थी। वह हिंदू धर्म की पंच कन्यायों में से एक माना जाता है। आइए जानते हैं द्रौपदी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें।

Facts About Draupadi

कृष्णा था मूल नाम | Facts About Draupadi

साँवले रंग की होने के कारण द्रौपदी का मूल नाम कृष्णा था। लेकिन राजा ध्रुपद की पुत्री होने के कारण वह द्रौपदी नाम से विख्यात हुई। पांचाल देश की होने के कारण उसे पांचाली भी कहा जाता था। सैरंध्री, मालिनी और पार्षती भी उसके अन्य नाम थे।

पहला विवाह प्रस्ताव श्रीकृष्ण के लिए आया था | Facts About Draupadi

द्रौपदी चूंकि यज्ञ से उत्पन्न हुई थी, इसीलिए उसकी कोई सखी नहीं थी। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उससे मैत्री और आजन्म उनका रिश्ता सखा भाव का ही रहा। राजा ध्रुपद ने उसके विवाह का पहला प्रस्ताव श्रीकृष्ण के समक्ष ही रखा था। लेकिन श्रीकृष्ण ने यह कहते हुए कि द्रौपदी का जन्म इतिहास रचने के लिए हुआ है, वह किसी बड़े साम्राज्य की पटरानी बनने योग्य है, यह कह के विवाह से इंकार कर दिया था। और राजा ध्रुपद को स्वयंवर की सलाह दी।

दुर्योधन पर व्यंग्य द्रौपदी ने नहीं किया था | Facts About Draupadi

कई लोग महाभारत युद्ध के लिए द्रौपदी को दोष देते हैं। इंद्रप्रस्थ में उसने दुर्योधन की हंसी उड़ाई और व्यंग्य किया था। उसने दुर्योधन को अंधे का पुत्र कहा था। लेकिन कई विद्वान मानते हैं, मूल महाभारत में यह व्यंग्य द्रौपदी ने नहीं भीम ने किया था। दुर्योधन को गिरा देख कर कई लोग हंसने लगे थे। जिसमें द्रौपदी भी एक थी।

अश्वत्थामा को किया माफ | Facts About Draupadi

दुर्योधन के वध और युद्ध समाप्ति के बाद, जब रात को पांडव, द्रौपदी और श्रीकृष्ण के साथ गंगा तट पर गए थे। तभी पांडव शिविर में द्रोण पुत्र अश्वथामा ने आक्रमण कर दिया था। उसके साथ कृपाचार्य और कृतवर्मा भी थे। उन तीनों ने मिलकर सोये हुए पांडव शिविर में भारी तबाही मचाई। अश्वत्थामा ने पांडवों के भ्रम में द्रौपदी के पाँच पुत्रों, जिन्हें उपपांडव कहा जाता था, उन्हें मार दिया। अपने पुत्रों के वध से आहत द्रौपदी ने अपने पतियों से अश्वथामा को पकड़ने के लिए कहा। पांडव और श्रीकृष्ण गुरुपुत्र के पीछे वेदव्यास आश्रम की तरफ गए, जहाँ वह गया था। उसने पांडवों पर ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया, जब उसकी काट में अर्जुन ने भी ब्रम्हास्त्र का प्रयोग किया। महर्षि वेदव्यास के समझाने के बाद अर्जुन ने तो अपना अस्त्र ले लिया, लेकिन अस्त्र को वापस ना ले पाने में असमर्थ अश्वत्थामा ने उसकी दिशा अर्जुन की पुत्रवधू उत्तरा की गर्भ की तरफ मोड़ दिया। उसके इस कृत्य के बाद पांडवों ने उसे पकड़ कर द्रौपदी के समक्ष प्रस्तुत किया। इधर भगवान श्रीकृष्ण ने योगविद्या से उत्तरा के पुत्र को बचा लिया। अपने पुत्र और भाइयों की मृत्यु से दुखी द्रौपदी ने पांडवों से उसे माफ करने के लिए कहा, क्योंकि वह उनका गुरुपुत्र था, वह नहीं चाहती थी, जैसे वह अपने पुत्रों के शोक में डूबी हुई है, ऐसा ही उसकी माँ कृपी को दुख ना हो, क्योंकि वह पहले ही अपने पति के मृत्यु से शोकग्रस्त हैं।

अर्जुन से सर्वाधिक प्रेम करती थी द्रौपदी | Facts About Draupadi

माना जाता है द्रौपदी अपने पांचों पतियों में से अर्जुन को सर्वाधिक चाहती थी। क्योंकि अर्जुन ने ही उसका स्वयंवर जीता था। द्रौपदी ने अर्जुन से प्रेम के कारण ही सुभद्रा को इंद्रप्रस्थ में रहने की अनुमति दी थी। जबकि पांचों पांडवों से विवाह के समय उसने यह शर्त रखी थी, पांडवों की बाकि पत्नियाँ उनके मायके में रहेगीं। लेकिन महाभारत की कथा अनुसार अर्जुन को सर्वाधिक प्रेम सुभद्रा से था।

भीम ही मेरे सच्चे पति | Facts About Draupadi

जहाँ द्रौपदी सर्वाधिक प्रेम अर्जुन से करती थी, वहीं द्रौपदी को सर्वाधिक प्रेम भीम किया करते थे। भीम उसकी प्रतिज्ञाओं के साक्षी थे, उसके अपमान का प्रतिरोध और प्रतिशोध भीम ही लिया करते थे। उसके द्वारा की जाने वाली मांगों को भीम ही पूरा किया करते थे, जिसके बाद द्रौपदी ने कहा था, भीम ही मेरे सच्चे पति हैं।

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