New Aadhaar App: केंद्र सरकार ने आधार कार्ड को और स्मार्ट बनाने के लिए एक नया आधार ऐप लॉन्च किया है, जिसमें फेस रिकग्निशन (Face Recognition) तकनीक को जोड़ा गया है। UIDAI (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) की इस पहल से अब होटल, एयरपोर्ट, कॉलेज या किसी भी जगह पहचान के लिए आधार कार्ड की हार्ड कॉपी या फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस ऐप को लॉन्च करते हुए इसे डिजिटल इंडिया की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। आइए जानते हैं पुराने और नए नियमों में अंतर, और इससे होने वाले फायदों के बारे में।
पहले के नियम बनाम नए नियम
- पहले के नियम: पहले आधार कार्ड की पहचान के लिए फिजिकल कार्ड या उसकी फोटोकॉपी देना जरूरी था। कई जगहों पर आधार नंबर और बायोमेट्रिक डेटा (फिंगरप्रिंट या आइरिस स्कैन) के जरिए ऑथेंटिकेशन होता था, लेकिन इसके लिए मशीन और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत पड़ती थी। इस प्रक्रिया में समय लगता था और कागजी झंझट भी रहता था।
- नए नियम: अब नया आधार ऐप फेस रिकग्निशन तकनीक के साथ आया है। यूजर को सिर्फ अपने स्मार्टफोन से चेहरा स्कैन करना होगा, और ऐप आधार नंबर की पुष्टि कर देगा। न फोटोकॉपी की जरूरत, न ही बायोमेट्रिक मशीन की। यह पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस प्रक्रिया है। साथ ही, यूजर को यह कंट्रोल मिलेगा कि वह कितना डेटा शेयर करना चाहता है, जैसे सिर्फ नाम और आधार नंबर, बिना पूरा पता दिए।
इसके फायदे
- पेपरलेस और तेज प्रक्रिया: अब आधार की फोटोकॉपी या हार्ड कॉपी साथ रखने की जरूरत नहीं। चेहरा स्कैन करके मिनटों में पहचान हो जाएगी, जिससे समय की बचत होगी।
- सुरक्षा में बढ़ोतरी: फेस रिकग्निशन तकनीक के साथ डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। यूजर को यह अधिकार होगा कि वह अपनी जानकारी का कितना हिस्सा साझा करना चाहता है, जिससे डेटा लीक का खतरा कम होगा।
- कम खर्च, ज्यादा सुविधा: बायोमेट्रिक मशीनों और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत खत्म होने से छोटे दुकानदारों, होटलों और संस्थानों को भी यह सिस्टम अपनाना आसान होगा।
- डिजिटल इंडिया को बढ़ावा: यह कदम डिजिटल पहचान को बढ़ावा देगा और कागजी प्रक्रियाओं को कम करके पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करेगा।
- धोखाधड़ी पर लगाम: फिजिकल कॉपी से होने वाली धोखाधड़ी, जैसे फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल, कम होगा, क्योंकि फेस रिकग्निशन से असली व्यक्ति की पहचान होगी।