EV महंगी होंगी, वजह है चीन और उसका रेयर अर्थ मटेरियल

भारत के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार (Electric Two-Wheeler Market) में जल्द ही कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है। प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियां—बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और TVS मोटर—जुलाई 2025 से अपने इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) के उत्पादन में कटौती करने की तैयारी में हैं। इसका मुख्य कारण चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट (Rare Earth Magnets) की आपूर्ति में पिछले चार महीनों से हो रही कमी है, जो इलेक्ट्रिक मोटर (Electric Traction Motors) के लिए जरूरी हैं।

उत्पादन में कटौती का दायरा

सूत्रों के मुताबिक, बजाज ऑटो अपने लोकप्रिय चेतक इलेक्ट्रिक स्कूटर (Bajaj Chetak) का उत्पादन 50% तक कम कर सकती है। वहीं, एथर एनर्जी (Ather Energy) अपने स्कूटरों के उत्पादन में 8-10% की कमी लाने की योजना बना रही है। TVS मोटर भी अपने iQube इलेक्ट्रिक स्कूटर (TVS iQube) के निर्माण में कटौती करेगी। बजाज ऑटो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी ने हमारी उत्पादन लाइन को प्रभावित किया है। हमारी R&D और खरीद टीमें (R&D and Procurement Teams) वैकल्पिक समाधानों पर काम कर रही हैं, जो उन्नत चरण में हैं।”

क्यों हो रही है यह कमी?

चीन, जो वैश्विक रेयर अर्थ मैग्नेट आपूर्ति (Global Rare Earth Supply) का 90% हिस्सा नियंत्रित करता है, ने हाल ही में निर्यात पर सख्ती बरती है। इससे भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं की लागत (Manufacturing Cost) बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कमी से इलेक्ट्रिक स्कूटरों की कीमतों (EV Prices) में 10-15% तक की वृद्धि हो सकती है, जिसका असर उपभोक्ताओं (Consumers) पर पड़ेगा।

कंपनियों की रणनीति

एथर एनर्जी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम सप्लाई चेन (Supply Chain) को स्थिर करने के लिए स्थानीय और वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान दे रहे हैं।” वहीं, TVS मोटर ने भी अपने स्टॉक प्रबंधन (Inventory Management) को मजबूत करने की बात कही है। हालांकि, इन उपायों के बावजूद, उत्पादन में कमी से डीलरशिप पर वाहनों की उपलब्धता (Vehicle Availability) प्रभावित हो सकती है।

उपभोक्ताओं पर असर

उत्पादन में कटौती से इलेक्ट्रिक स्कूटरों की डिलीवरी में देरी (Delivery Delays) और कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है। विशेष रूप से मध्यम वर्ग के उपभोक्ता (Middle-Class Consumers), जो इलेक्ट्रिक वाहनों को किफायती और पर्यावरण-अनुकूल (Eco-Friendly) विकल्प के रूप में देखते हैं, इस बदलाव से प्रभावित हो सकते हैं। सरकार की FAME-III सब्सिडी (FAME-III Subsidy) भी इस स्थिति को पूरी तरह संभाल पाने में असमर्थ दिख रही है।


उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए स्थानीय उत्पादन (Local Manufacturing) और वैकल्पिक सामग्रियों पर ध्यान देना होगा। सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन इनके परिणाम दिखने में समय लगेगा। तब तक, इलेक्ट्रिक वाहन बाजार (EV Market) में यह अनिश्चितता बनी रह सकती है। यह स्थिति न केवल निर्माताओं, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल परिवहन (Sustainable Transport) को बढ़ावा देने की भारत की महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए भी चुनौती खड़ी कर रही है।

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