रीवा। मध्यप्रदेश के उत्तर-पश्चिमी के भू-भाग में रीवा जिला बसा हुआ है। यह क्षेत्र प्राकृतिक धरोहर एवं सुंदरता से भरा हुआ है। यहां की पर्वत माला पूरे क्षेत्र को सुरक्षा और सुंदरता देने का काम कर रही है तो रीवा और सतना की सीमा पर स्थित मुंकुदपुर में सफेदबाघों की उछलकूद वान्य जीवों की अलग ही गाथा गाती हैं। असल में यह क्षेत्र सफेद बाघ की उत्पत्ति के रूप में पहचानी जाती है। दुनिया भर में अगर सफेद बाघ है तो वे रीवा के वशंज माने जाते है। इस विरासत को मुंकुदपुर में सवारा गया है और यहा सफेद बाघ न सिर्फ बाड़े में बल्कि ओपन सफारी में सैर करते हुए देखे जाते है।
झरनों से निकलती छठा
यह क्षेत्र वॉटर फॉल के रूप में भी जाना जाता है। झरनों की आवाज प्रकृति एवं संगीत प्रेमियों को एक अलग ही एहसास दिलाती है। असल में रीवा का क्योटी वॉटर फाल, पूर्वा वॉटर फॉल और चचाई समेत तकरीबन 5 ऐसे वॉटर फॉल मौजूद है। तकरीबन 142 मीटर ऊँचा झरना से पानी का बहाव और चट्रटानों से पानी टकराने के कारण उसमें एक अलग प्रकृति छठा एवं आवाज गूजती है। ये क्षेत्र के सबसे ऊँचे झरनों में से एक है।
भैरव बाबा की विशाल काय प्रतिमा
रीवा में ऐसे पुराने नक्कसी वाले भवन मौजूद है, जिनकी खूबसूरती तो देखने लायक तो है ही, ये इस क्षेत्र की प्राचीन स्मारकों और नक्काशी के रूप में हमारे गौरवशाली इतिहास को संरक्षित रखे हुए है, उनमें से भैरव बाबा मंदिर में 35 फीट ऊँची लेटी हुई भैरव बाबा की प्रतिमा भी है। एक ही चट्टान से गढ़ी गई यह प्रतिमा आस्था के साथ ही इस क्षेत्र के कला की बखान कर रही है। इस विशालकाय प्रतिमा को देखने और भैरवबाबा का आर्शीवाद लेने के लिए दूर-दूर से लोग पहुचते है।
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इस भू-धरा पर देउर कोठार में मौर्य युग से संबंधित बौद्ध स्तूप, अद्भुत रीवा किला और संग्रहालय, वेंकट पैलेस, झील के तलहटी पर बना गोविंदगढ़ पैलेस, गोविंदगढ़ के सुंदरजा आम की बगिया, घिनौची धाम, रानी तालाब रीवा में घूमने के लिए पर्यटक स्थलों की सूची में शामिल हैं।