America और China के मध्य Trade War का फायदा India को मिल सकता है. America के साथ बढते Tension के बीच चीन की कई Electronic Component Companies इस समय भारतीय कंपनियों को 5 फीसदी तक की छूट दे रही हैं. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में Smartphone, TV, Fridge और अन्य Electronics Item की कीमतें भारत में कम हो सकती हैं.
भारतीय ग्राहकों की बल्ले बल्ले
दरअसल यह छूट भारत के विक्रेताओं को मिलेगी लेकिन बड़े डिस्ट्रिब्यूटर मांग को बढ़ावा देने के लिए इसे ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं. Trump का Tariff war China के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है. आपको बताएं 2 अप्रैल को ट्रंप ने चीन पर 54 फीसदी का Tariff लगाया तो जवाब में चीन ने भी आयात पर 34 फीसदी का Tax लगा दिया. इसके तुरंत बाद America ने 104℅ प्रतिशत का Tariff लगा दिया. और चीन ने भी Tariff बढ़ाकर 84 फीसदी कर दिया. बात यहीं खत्म नहीं होती बीते दिन यानी 9 अप्रैल को Trump ने 125 ℅ का Tariff China पर जड़ दिया.
इन भारतीय कंपनियों को मिलेगा फायदा
China America Trade war से पूरी दुनिया परेशान है. हालांकि Experts का मानना है की इस देशों की लडाई के बीच भारत को बड़ा फायदा हो सकता है. ऊँचे Tariff के चलते ना की Export Companies पर दबाव बढ़ गया है. क्योंकि उन्हें अब America से कम ऑर्डर मिल रहे हैं. ऐसे में भारत के लिए यह अवसर साबित हो सकता है. जी हां भारत अब मोलभाव करके चीजों को मंगा सकता है. गोदरेज इंटरप्राइजेज के हेड कमल नंदी ने बताया कि चीन में डिमांड घटने से वहाँ के Manufacturer दबाव में हैं. और इसी कारण भारत के पास बातचीत करने का अच्छा मौका है.
कब से ग्राहकों को मिलेगी छूट
गौरतलब है कि, इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री में आमतौर पर 2-3 महीने का इन्वेंट्री साइकल चलता है. और ऐसे में मई, जून से कंपनियां नए ऑर्डर देंगी. Super Plastronics के CEO अवनीत सिंह मारवाह ने कहा china में सप्लाई ज्यादा हो गई है. लेकिन America से आर्डर घटने से कंपनिया परेशान हो गई हैं.
घरेलू निर्माण को बढ़ावा भी मिलेगा
आपको यह भी बताते चलें कि इस Trade war के बीच बहुत कुछ सीखने को भी मिला है. जी हां घरेलू Electronics को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने PLI (Production Linked Incentives) योजना के जरिए 22,919 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. यह योजना Non Semi Conductor electronics component के लिए है. इसके बाद भारत में electronics के मनुफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और विश्व पर निर्भरता कम होगी.