सतना। भारत निर्वाचन आयोग ने बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) का पारिश्रमिक दोगुना करने का बड़ा फैसला लिया है। इसके साथ ही बीएलओ पर्यवेक्षकों के पारिश्रमिक में भी वृद्धि की गई है। आयोग ने पहली बार ईआरओ (निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी) और एईआरओ (सहायक निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी) को भी मानदेय देने का निर्णय लिया है। आयोग के इस निणर्य से निर्वाचन कार्य करने वाले कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले हो गई है। उन्हे पहले की अपेक्षा अब डबल मानदेय मिलेगा।
शुद्ध मतदाता सूचियां लोकतंत्र की नींव
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि शुद्ध मतदाता सूचियां लोकतंत्र की नींव हैं। मतदाता सूची तैयार करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ईआरओ, एईआरओ, बीएलओ पर्यवेक्षक और बीएलओ निभाते हैं। इनकी मेहनत से ही सटीक और पारदर्शी मतदाता सूचियां तैयार होती हैं। दरअसल निर्वाचन आयोग मतदाता सूची से लेकर पूरे चुनाव कार्य में और ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए लगातर काम कर रहा है, चूकि चुनाव कार्य में निर्वाचन कर्मियों का अहमं रोल रहता है। यही वजह है कि आयोग ने उनके परिश्रमिकों को बढ़ाया है। जिससे निर्वाचन कर्मी मन लगाकर काम कर सकें।
जाने कितना होने वाला है पारिश्रमिक
निर्वाचन आयोग ने बीएलओ की वार्षिक पारिश्रमिक राशि को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार रुपये कर दिया गया है, जबकि मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए बीएलओ को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि अब 1000 रुपये से बढ़ाकर 2 हजार रुपये कर दी गई है। ठस्व् पर्यवेक्षकों का पारिश्रमिक 12 हजार रुपये से बढ़ाकर 18 हजार रुपये किया गया है। इसके अलावा ईआरओ को अब 30 हजार रुपये और एईआरओ को 25 हजार रुपये का मानदेय मिलेगा। इससे पहले इन्हें कोई मानदेय नहीं दिया जाता था।
आयोग ने बिहार में शुरू होने वाले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए बीएलओ को अतिरिक्त 6 हजार रुपये के विषेश प्रोत्साहन को भी मंजूरी दी है। निर्वाचन आयोग के अनुसार यह निर्णय उन चुनाव कर्मियों की प्रतिबद्धता को सम्मानित करता है, जो क्षेत्रीय स्तर पर सटीक मतदाता सूचियां बनाकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाते हैं। आयोग का यह कदम उनके कार्य का उचित सम्मान और प्रोत्साहन सुनिष्चित करेगा।