उनके खिलाफ यह मामला चुनाव आयोग (ELECTION COMMISSION OF INDIA) की शिकायत पर दर्ज किया गया था।
NEW DELHI: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर बुधवार को वोटिंग होनी है। वहीं आपको बता दें कि चुनाव (ELECTION COMMISSION OF INDIA) से ठीक पहले दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के तहत मामला दर्ज किया है। इसके साथ ही पुलिस ने बीजेपी प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी के समर्थक माने जाने वाले मनीष बिधूड़ी के खिलाफ भी आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। इस मामले को लेकर आतिशी के ट्विटर पोस्ट पर दिल्ली पुलिस ने जवाब दिया।
मारपीट और नकदी बांटने का आरोप
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में देर रात तक अफरा-तफरी मची रही। राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर मारपीट और नकदी बांटने का आरोप लगाया है। इस हंगामे के बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी गोविंदपुरी थाने पहुंचीं और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जिसमें उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर दिल्ली की झुग्गी बस्तियों के लोगों को धमकाने का आरोप लगाया है।
दिल्ली मुख्यमंत्री आतिशी और ELECTION COMMISSION OF INDIA
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का आरोप है कि शिकायत देने के बाद पुलिस ने उल्टे उनके और आप कार्यकर्ताओं के खिलाफ दो मामले दर्ज कर लिए हैं। पुलिस के मुताबिक दोनों मामले सरकारी काम में बाधा डालने और आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े हैं। दिल्ली पुलिस ने आचार संहिता उल्लंघन के पहले मामले में सीएम आतिशी के खिलाफ FIR दर्ज की है। उनपर आरोप है कि मुख्यमंत्री 10 गाड़ियों और 50-60 समर्थकों के साथ फतेह सिंह मार्ग पर गई थीं। जब पुलिस ने आचार संहिता का हवाला देकर उन्हें वहां से जाने का आदेश दिया तो उन्होंने इनकार कर दिया।
ELECTION COMMISSION OF INDIA क्या करेगा
उनके खिलाफ यह मामला चुनाव आयोग (ELECTION COMMISSION OF INDIA) की शिकायत पर दर्ज किया गया था। हर चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के पास कई मामले आते हैं जिनमें आचार संहिता का उल्लंघन होता है। चुनाव आयोग (ELECTION COMMISSION OF INDIA) द्वारा ऐसे मामलों में केस दर्ज किये जाते हैं, अधिकतर बार उम्मीदवार को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है।
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दो साल तक की जेल संभव
वहीं गंभीर मामलों में चुनाव आयोग भारी जुर्माना और नामांकन रद्द करने जैसे फैसले भी ले सकता है। हालांकि ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं। चुनावी हिंसा और जनता को भड़काने वाले भाषण देने के आरोप में आरोपियों को जेल भेजा जा सकता है। ऐसे मामलों में दो साल तक की जेल हो सकती है।