Mahakumbh 2025 : तीसरे अमृत स्नान के बाद निरंजनी और महानिर्वाणी अखाड़े में नए सरकार्यवाह चुनने की कवायद शुरू हो गई है। दोनों अखाड़ों में 7 फरवरी को अष्टकोशल के श्री महंतों के नामों की घोषणा की जाएगी। इसके लिए सभी अखाड़ों की मढि़यों में श्री महंतों के नाम तय किए जा रहे हैं। 7 फरवरी को अष्टकोशल के चुनाव के साथ ही अखाड़े कढ़ी-पकौड़े का पारंपरिक भोज कर काशी के लिए रवाना होंगे।
शैव अखाड़ों में होती है नागा संन्यासियों की फौज।
सनातन परंपरा के सभी तेरह अखाड़ों का परिवार काफी विशाल है। खासकर शैव अखाड़ों में हजारों साधु-संतों समेत नागा संन्यासियों की विशाल फौज है। अखाड़ों के पास देशभर में मठ-मंदिर समेत करोड़ों रुपये की जमीन है। इन पर नियंत्रण रखने के साथ ही इनकी देखभाल की जिम्मेदारी अष्टकोशल के आठ श्री महंतों की टोली पर है। इनका कार्यकाल छह साल का होता है। महाकुंभ शुरू होते ही अष्टकोशल को भंग कर दिया गया था। अब इनका चुनाव नए सिरे से होगा।
यह चुनाव तीसरे अमृत स्नान के बाद होगा। Mahakumbh 2025
परंपरा के अनुसार इनका चुनाव तीसरे अमृत स्नान के बाद होता है। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्री महंत राम रतन गिरि के अनुसार सभी मधियों से श्री महंतों को प्रतिनिधित्व दिया जाना है। वसंत स्नान के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। अब सात फरवरी को अष्टकोशल के नामों की घोषणा होगी। इसके साथ ही नई कार्यकारिणी का गठन होगा। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्री महंत यमुनापुरी का कहना है कि सात फरवरी को अखाड़ा काशी के लिए रवाना होगा।
जूना अखाड़े का चुनाव काशी में होगा।Mahakumbh 2025
अष्टकोशल और जूना अखाड़े के सचिव का चुनाव काशी में होगा। जूना अखाड़े की कार्यकारिणी का कार्यकाल तीन साल का ही होता है, जबकि निरंजनी और महानिर्वाणी अखाड़े का कार्यकाल छह साल का होता है। जूना अखाड़े की नई कार्यकारिणी के गठन के साथ ही सचिव को भी काशी में नई जिम्मेदारी दी जाएगी।
संन्यासी काशी के लिए प्रस्थान करेंगे। Mahakumbh 2025
7 फरवरी को नए अष्टकोशल की मौजूदगी में परंपरागत कढ़ी-पकौड़े का कार्यक्रम होगा। इसके साथ ही नवनिर्वाचित अष्टकोशल महंत प्रतीकात्मक रूप से छावनी की धर्म ध्वजा की डोर ढीली कर अखाड़ों के प्रस्थान का संकेत देंगे। इसके बाद संन्यासी काशी के लिए प्रस्थान करेंगे। निरंजनी और महानिर्वाणी अखाड़े अपने देव भाल को प्रयागराज स्थित मुख्यालय में स्थापित करेंगे और होली तक इष्ट देव के साथ काशी में ही रहेंगे। महाशिवरात्रि स्नान के बाद बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलने के बाद संन्यासियों का कुंभ प्रवास पूरा माना जाएगा। होली के बाद ही सभी संन्यासी अपने-अपने स्थानों पर लौटेंगे।
52 मढ़ियों का होगा प्रतिनिधित्व।
रमता पंच और श्री महंत चारों वेदों के विशेषज्ञ होते हैं। आनंदवार और भूरावार संप्रदाय को मिलाकर बने आनंद अखाड़े में दोनों के दो-दो श्री महंत हैं। रमता पंचों की संख्या भी इतनी ही है। इनका चुनाव छह साल में होता है। अखाड़े में 52 मंदिरों के संत हैं। श्री निरंजनी अखाड़े के साथ इनकी छावनी है। आम बोलचाल में इसे निरंजनी अखाड़े का छोटा भाई कहा जाता है। आनंद अखाड़े के मौजूदा आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि हैं।