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Educational Tips: एस्ट्रोनॉट बनने के लिए 12वीं के बाद कौन सा कोर्स करना पड़ता है?

Educational Tips for becoming an astronaut

Educational Tips for becoming an astronaut

Educational Tips: हाल ही में भारत के अंतरिक्ष संगठन ने एक नई कामयाबी हासिल की, जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने जून 2025 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखा। यह क्षण भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बन गया। इस उपलब्धि के साथ ही करोड़ों युवाओं के सपनों को नया आसमान भी मिल गया। कई सारे युवा सपना देखते हैं कि वह एस्ट्रोनॉट बनें (how to become astronaut) और अंतरिक्ष पर जाएं। परंतु जानकारी के अभाव के चलते हुए वे अपने इस सपने को साकार नहीं कर पाते। आज के इस लेख में हम इसी का संपूर्ण विवरण आपको उपलब्ध कराएंगे जहां हम बताएंगे कि कैसे एक आम इंसान एस्ट्रोनॉट बन सकता है और उसके लिए कौन सी पढ़ाई करनी होगी?

Educational Tips for becoming an astronaut

आज का हमारा यह लेख उन युवाओं को समर्पित है जो शुभांशु शुक्ला जैसे अंतरिक्ष यात्री बनना चाहते हैं। वे हमारे इस लेख के माध्यम से यह जान पाएंगे की 10वीं और 12वीं के बाद उन्हें क्या करना होगा? और कैसे मानसिक और शारीरिक रूप से एस्ट्रोनॉट बनने के लिए तैयार होना होगा? कौन सी परीक्षाएं देनी होगी और किस प्रकार एस्ट्रोनॉट बनने की रणनीति तैयार करनी होगी? आइए जानते हैं कैसे बने अंतरिक्ष यात्री?(kaise bane antariksh yatri)

प्रारंभिक शिक्षा और विषय ज्ञान (astronaut banne ke liye kaunsa course kare)

अंतरिक्ष अनुसंधान रिसर्च

वे सभी उम्मीदवार जो isro या nasa ज्वाइन करना चाहते हैं उन्हें समय-समय पर इसरो और नासा की वेबसाइट पर जाकर आवेदन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इन दोनों द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रकार की नियुक्तियां(isro internship) आयोजित की जाती है जिसमें साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग ,मैथमेटिक्स में ग्रेजुएट उम्मीदवारों को इंटर्नशिप के लिए हायर किया जाता है। आवेदक को इस इंटर्नशिप हेतु आवेदन करने से पहले कुछ पात्रता मापदंड भी सुनिश्चित करने होंगे।

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ISRO या NASA हेतु पात्रता

आवेदन प्रक्रिया (isro or nasa me kaise apply kare)

जैसा कि हमने बताया यदि कोई उम्मीदवार isro या nasa से जुड़ना चाहता है तो उन्हें उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इंटर्नशिप या रिक्रूटमेंट के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके बाद आवेदक का चयन किया जाता है और उन्हें 8 महीने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसके बाद उन्हें अलग-अलग मिशन के लिए चुना जाता है और विभिन्न प्रयोगों का हिस्सा बनाया जाता है।

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