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1 महीने में 3 बार डोली धरती, कारण परेशान करने वाला है

Earthquake

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1 महीने में 3 बार आए भूकंप (Earthquake) ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। क्या भूकंप की लगातार होने वाली छोटी घटनाएं भयंकर भूकंप का संकेत है? क्या कहते हैं भारतीय भूकंपशास्त्री इस रीसर्च में कुछ अहम खुलासे किए हैं.

Earthquake Updates: बीते दिनों, दिल्ली- NCR (Delhi NCR) सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में आए भूकंप झटके महसूस किए गए. 4 नवंबर को आए भूकंप जिसका Epicentre पडोशी देश नेपाल रहा जिसने नेपाल में भारी तबाही मचाई जिसकी तीव्रता Richter में 6.4 नपी गई नेपाल में इस भूकंप से 157 लोगों की जान चली गई तो वहीं कुछ लोग अब तक शर्दी में रात काटने को मजबूर हैं क्योंकि उनका घर जमीदोज हो गया है. अब 6 नवंबर को 5.6 की तीव्रता का भूकंप आया जो पिछले एक महीने में तीसरा भूकंप था। बार-बार आने वाले भूकंप के कारण 2018 की स्टडी की चर्चा तेज हो गई. भारतीय भूकंपविज्ञानियों ( Indian seismologists) की स्टडी के अनुसार, हिमालय क्षेत्र में 8.5 की तीव्रता से अधिक का बड़ा भूकंप आ सकता है.

Earthquake की इस स्टडी में क्या था?

बेंगलुरु में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research in Bengaluru) अब तक आए कुछ भयंकर भूकंपों की तुलना की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2015 के नेपाल भूकंप में लगभग 9 हजार और 2001 के गुजरात भूकंप में 13 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी. नेपाल में 8.1 और गुजरात में 7.7 की तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. जानकारी के अनुसार, एक्सपर्ट लम्बे समय से कहते रहे हैं कि इन छोटे-छोटे भूकंपों की सामान्य घटना को इंग्नोरे नहीं करना चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू सेंटर की इस रिसर्च में संकेत में दिए गए हैं कि मध्य हिमालय क्षेत्र में हिमालय के निचे लगातार दवाब बन रहा है. इसके कारण भूकंप की एक बड़ी घटना का अनुमान लगाया जा रहा है. यह रीसर्च भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूवैज्ञानिक डेटा और मानचित्रों पर आधारित है. इसमें Google Earth और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, ISRO की उपग्रह के फोटोग्राफी सिस्टम का भी प्रयोग किया है.

भूवैज्ञानिक ने संकेत दिया है कि 14वीं और 15वीं शताब्दी के बीच सेंट्रल हिमालय में एक बड़ा भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 8.5 और 9 बीच बताई गई थी. इस भूकंप से 600 किलोमीटर का भूभाग प्रभावित हुआ था. इसके बाद मध्य हिमालय में छोटे भूकंपों के बावजूद लंबे वक़्त से कोई बड़ी घटना नहीं हुई है.वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता जताई है. ऐसा आदेश लगाया गया है कि इससे हिमालय के निचे तनाव बढ़ रहा है और हो सकता है कि यह तनाव किसी रोज भूकंप की बड़ी घटना के रूप में सामने आए. जानकारों का मानना है कि अगर ऐसा होगा तो बड़ी मात्रा में जान माल का नुकसान हो सकता है।

2016 में कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय में भूवैज्ञानिक द्वारा किए गए अध्यन में भी यही चेतावनी दी गई थी. कहा गया था कि 2015 का नेपाल का भूकंप हिमालय में मध्य में मौजूद तनाव को पूरी तरह नहीं निकाल पाया था.

Earthquake के भविष्यवाणी करना कितना आसान

हालांकि भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. वैज्ञानिक tectonic plates का लगातार अध्यन कर रहे हैं. tectonic plates में होने वाली गतिविधियों के कारण भूकंप की घटना प्रभावित होती है.

ऐसा सिर्फ इंडिया में ही नहीं. California के एक पब्लिक मीडिया संस्थान KQED की 2019 की एक रिपोर्ट में भी यही चिंता जाहिर की थी. उस वक्त San Francisco की खाड़ी के पास Hayward Fault में भी ऐसा ही हुआ था. इलाके में छोटे Earthquake के बाद कोई बड़ी भूकंपीय घटना नहीं हुई. इस पर वहां के UC Berkeley’s Seismology Lab की विशेषज्ञ पेगी हेलवेग ने इस पर चिंता जताई थी. रिपोर्ट में साल 2049 के पहले इस इलाके में 7.0 तीव्रता वाले भूकंप की आशंका लगाई जा रही.

हालांकि, ये भविष्यवाणी वैज्ञानिकों की लगातार रिसर्च और अध्ययन पर आधारित है. वैज्ञानिक आशंकित तबाही को कम करने के लिए तैयारी करने का आग्रह कर रहे हैं.

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