नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को लेकर इसी सप्ताह बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में ई-बसों के संचालन की व्यवस्था के साथ एक्सपर्ट्स को भी बुलाया जाएगा ताकि हर तरीके से चर्चा की जा सके और आचार संहिता लागू होने के बाद इस मामले में विस्तृत चर्चा के लिए फिर कैबिनेट में लाया जा सके।
मध्य प्रदेश में जल्द ही इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को शुरू होने वाला है। इसके लिए मोहन यादव कैबिनेट पहले ही फरवरी में पीएम ई बस सेवा के अंतर्गत प्रदेश के 6 बड़े शहरों में इसके संचालन का फैसला कर चुकी है। अब इस योजना में चलाई जाने वाली बसों के आपरेशन और बसों के केंद्र से डिमांड समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा करने के साथ एसओपी तैयार करने को लेकर नगरीय प्रशासन विभाग काम पर जुट गया है।
चूंकि लोकसभा चुनाव के दौरान नीतिगत निर्णय लेने का काम नहीं हो सकता और कैबिनेट बैठक नहीं हो सकती। इसलिए अब मंत्रालय के अधिकारी आचार संहिता लागू होने के पहले लिए गए निर्णयों के नियमों को बनाने और अन्य प्रक्रिया पूरी करने में जुटे हैं। इसी राह में जल्द ही नगरीय विकास और आवास विभाग द्वारा प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को लेकर इसी सप्ताह बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में ई-बसों के संचालन की व्यवस्था के साथ एक्सपर्ट्स को भी बुलाया जाएगा ताकि हर तरीके से चर्चा की जा सके और आचार संहिता लागू होने के बाद इस मामले में विस्तृत चर्चा के लिए फिर कैबिनेट में लाया जा सके।
किन शहरों में चलेंगी ई-बस
मध्य प्रदेश सरकार ने फरवरी के अंतिम सप्ताह में हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश के जिन 6 बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलाने का फैसला लिया था. उसमें इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और जबलपुर नगर निगम क्षेत्र शामिल हैं, जहां 552 ई बसों का संचालन किया जाएगा।मोहन सरकार प्रधानमंत्री ई-बस योजना के अंतर्गत इन बसों का संचालन करेगी। केंद्र सरकार बसें उपलब्ध कराएगी और 12 साल के लिए ऑपरेशनल एंड मेंटेनेंस कॉस्ट भी देगी। इस योजना से ई-बसों का प्रमोशन होगा और समय के साथ विस्तार भी किया जाएगा।
कमेटी गठित कर तय करेंगे संचालन व्यवस्था
अब तक ई-बसों के संचालन को लेकर जो फैसले हुए हैं उसके अनुसार राज्य शासन द्वारा ई-बसों के संचालन के लिए स्थानीय स्तर पर एक कमेटी बनाई जाएगी। दूसरी ओर, केंद्र सरकार का दावा है कि ई-बसों के संंचालन के बाद यात्री किराए में तीस फीसदी तक की कमी हो सकती है। इसके साथ ही डीजल पर निर्भरता भी घटेगी और प्रदूषण रोकने में भी आसानी होगी।