सभी घरेलू टूर्नामेंटों में से दलीप ट्रॉफी (Duleep Trophy) ने हमेशा भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। क्षेत्रीय टीमें अपनी पूरी ताकत से, जी-जान लगाकर, प्रतिष्ठित ट्रॉफी जीतने और राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पाने के लिए उत्सुक रहती हैं, और समय के साथ-साथ कुछ रोमांचक मुकाबले देखने को मिलते हैं।
इस वर्ष चार टीमों की प्रतियोगिता होने रही है, तो आइए हम दलीप ट्रॉफी के कुछ यादगार पलों और कुछ दिलचस्प बातों पर एक नजर डालें।
दलीप ट्रॉफी 1991: दो युवा खिलाड़ी मौज-मस्ती करते हुए
यह दो खिलाड़ियों के लिए दलीप ट्रॉफी का पहला मैच था, जिन्होंने बाद में भारतीय क्रिकेट के लिए अनगिनत यादगार साझेदारियाँ बनाईं। जी हाँ! सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली 1991 में गुवाहाटी में वेस्ट ज़ोन और ईस्ट ज़ोन के बीच इस ऐतिहासिक दलीप ट्रॉफी मैच में एक दूसरे के खिलाफ़ थे।
सचिन ने महज़ 17 साल की उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय शतक जड़ दिया था। मास्टर ने यहां भी निराश नहीं किया, 159 रन बनाए और डेब्यू मैच में शतकों का चक्र पूरा किया, इससे पहले वे रणजी ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी में भी शतक लगा चुके थे। सौरव भी हार मानने को तैयार नहीं थे, उन्होंने भी दलीप ट्रॉफी में अपने डेब्यू मैच में नाबाद 124 रन बनाकर यादगार पारी खेली, लेकिन वेस्ट जोन ने पहली पारी की बढ़त के दम पर आगे की पारी खेली।
दलीप ट्रॉफी 2002 और 2003: स्विंग के पठान
दो दलीप ट्रॉफी, आठ मैच, 41 विकेट! और जल्द ही इरफ़ान पठान को दिसंबर 2003 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम में जगह दिला दी। साल 2002 के संस्करण में इरफ़ान का ड्रीम रन 22 विकेट के साथ प्रतियोगिता में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ के रूप में समाप्त हुआ और वेस्ट ज़ोन को खिताब दिलाने में मदद की।
उन्होंने अगले साल भी यही फॉर्म जारी रखा और 2003 में शीर्ष पांच विकेट लेने वालों की सूची में जगह बनाकर चयनकर्ताओं को यह विश्वास दिलाया कि वे बड़े मंच के लिए तैयार हैं। ज़हीर खान के चोटिल होने के कारण, इरफ़ान को अपनी पहली पारी खेलने का मौका मिला और उन्होंने अपनी गति और स्विंग से तुरंत प्रभाव डाला।
दलीप ट्रॉफी 2004 से 2008: विदेशी खिलाड़ी की मौजूदगी
सदी के अंत के बाद दलीप ट्रॉफी में एक दिलचस्प सुधार हुआ, जिसमें 2004 से घरेलू या क्षेत्रीय टीमों के साथ-साथ एक विदेशी खिलाड़ी भी प्रतियोगिता में भाग लेने लगा। इससे खेल की समग्र गुणवत्ता में सुधार हुआ और इंग्लैंड, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और श्रीलंका की ‘ए’ टीमों ने अलग-अलग वर्षों में भाग लिया।
साल 2003-04 के अभियान में जब इंग्लैंड ए ने हिस्सा लिया था, तब केविन पीटरसन स्टार आकर्षण थे, जो दो मैचों में 345 रन बनाकर शीर्ष रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे थे। हालांकि, यह प्रथा लंबे समय तक जारी नहीं रही और 2007-08 के संस्करण में इंग्लैंड लायंस के भाग लेने के बाद बंद हो गई।
दलीप ट्रॉफी 2016: गुलाबी गेंद से एक मुलाकात
दलीप ट्रॉफी 2016 घरेलू खेल के विकास में एक क्रांतिकारी कदम था क्योंकि खेल के सबसे लंबे प्रारूप के प्रति अधिक प्रशंसकों को आकर्षित करने के लिए गुलाबी गेंद से दिन-रात के टेस्ट मैच शुरू किए गए थे। इंडिया ब्लू ने इंडिया ग्रीन और इंडिया रेड को पीछे छोड़ते हुए खिताब जीता, जिसे प्रशंसकों ने खूब सराहा।
चेतेश्वर पुजारा ने इस टूर्नामेंट के बाद होने वाली न्यूजीलैंड सीरीज के लिए अच्छी तैयारी की और सिर्फ तीन पारियों में एक दोहरे शतक और एक बड़े शतक सहित 453 रन बनाकर बल्लेबाजी चार्ट में शीर्ष स्थान पर रहे। कुलदीप यादव ने सिर्फ तीन मैचों में 17 विकेट लेकर सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज के रूप में गुलाबी गेंद की पहेली को सुलझाया।
दलीप ट्रॉफी के रिकॉर्ड
भारतीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी वसीम जाफर और नरेंद्र हिरवानी दलीप ट्रॉफी प्रतियोगिता में बल्लेबाजी और गेंदबाजी में शीर्ष पर हैं।
वसीम जाफ़र घरेलू क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने रणजी ट्रॉफी, ईरानी कप और दलीप ट्रॉफी में ढेरों रन बनाए हैं। मुंबई के इस मैराथन खिलाड़ी ने 30 मैचों में 55.32 की शानदार औसत से 2545 रन बनाए हैं, जिसमें आठ शतक और 13 अर्द्धशतक शामिल हैं।
हालांकि लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी ने इस प्रतियोगिता के इतिहास में 29 मैचों में सबसे अधिक 126 विकेट चटकाएं हैं और इस दौरान उन्होंने आठ बार पारी में पांच विकेट हॉल लिए हैं।
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