मध्य प्रदेश सरकार ने जहरीली दवाओं (Toxic Syrup Deaths In Madhya Pradesh) से हुई 26 बच्चों की मौत के बाद राज्य में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 22 अक्टूबर 2025 को यह जानकारी सामने आई कि सरकार ने हर जिले में दवाओं की जांच (Drug Testing in Every District) के लिए 211 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है, जो केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है। इस पहल का उद्देश्य माइक्रो लेवल पर दवा मिलावट (Drug Adulteration Check) की निगरानी करना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना है।
मई 2025 में मध्य प्रदेश के कई जिलों में बच्चों की मौत जहरीली सिरप (Poisonous Syrup) के सेवन से हुई थी, जिसमें कुल 26 बच्चों की जान चली गई। जांच में पता चला कि दवाओं में मिलावट और गुणवत्ता नियंत्रण की कमी इसके पीछे थी। इस घटना ने राज्य सरकार पर सवाल उठाए, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। मुख्यमंत्री मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और दवा नियंत्रण प्रणाली को मजबूत करने का वादा किया।
211 करोड़ का प्रस्ताव:
हर जिले में लैबसरकार ने हर जिले में दवा परीक्षण प्रयोगशालाएं (Drug Testing Labs) स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसकी अनुमानित लागत 211 करोड़ रुपये है। इस योजना में शामिल हैं:
- इन्फ्रास्ट्रक्चर: 52 जिलों में मॉडर्न लैब्स की स्थापना।
- उपकरण: हाई-टेक टेस्टिंग मशीनें और क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम।
- मानव संसाधन: 200 से अधिक ट्रेंड टेक्नीशियंस की भर्ती। प्रस्ताव में दवाओं के सैंपलिंग, टेस्टिंग और बाजार से हटाने की प्रक्रिया को तेज करने का भी प्रावधान है। स्वास्थ्य मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ (Vijay Laxmi Sadho) ने कहा, “यह कदम बच्चों और आम जनता की सुरक्षा के लिए जरूरी है।”
केंद्र से मंजूरी की उम्मीदमध्य प्रदेश सरकार ने यह प्रस्ताव केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा है, जहां से फंडिंग और तकनीकी सहायता की उम्मीद है। राज्य के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) मोहम्मद सुलेमान ने बताया, “हमारा लक्ष्य 2026 तक सभी जिलों में लैब्स को चालू करना है।” केंद्र सरकार ने पहले भी दवा नियंत्रण के लिए 3759 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी, जिसके तहत मप्र को हिस्सा मिल सकता है।

