Site icon SHABD SANCHI

Dr Neeraj Pathak Murder Case: 20 साल की शादी….और फिर करेंट से मर्डर

neeraj pathak murder case mystery

neeraj pathak murder case mystery

2021 में छतरपुर के नीरज पाठक मर्डर केस ने सबको चौंका दिया था, जिसमें उनकी पत्नी ममता पाठक को उनके ही पति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। ममता ने कोर्ट में खुद अपनी पैरवी की, और उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। लेकिन उस रात आखिर हुआ क्या था? ममता ने कोर्ट में क्या दलीलें दीं, और क्यों उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई? आइए, आज इन सवालों के जवाब जानते हैं। नमस्कार, शब्द सांची विंध्य में आपका स्वागत है। मैं हूँ दिव्यांशी शर्मा।

डॉक्टर नीरज पाठक जो मध्यप्रदेश रीवा के अमहिया के मूल निवासी थे उन्होंने रीवा से ही अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की थी। उनकी पत्नी ममता पाठक जो एक केमेस्ट्री प्रोफेसर थी। ममता पाठक को अपने पति पर शक था कि उनके किसी अन्य औरत के साथ गैर सम्बन्ध है। जिसकी सूचना ममता पाठक ने कई बार थाने में भी दर्ज करवाई, लेकिन उनके पति के खिलाफ कोई सबूत हाथ नहीं लगा। विवाद के चलते डॉ. नीरज ने 2021 में जिला अस्पताल से वीआरएस लेकर घर पर प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया था. ये शक का कीड़ा 20 सालों तक पति पत्नी के रिश्ते के बीच पनपता रहा, और एक दिन डॉ नीरज और प्रोफेसर ममता पाठक को निगल गया।

29 अप्रैल 2021 की सुबह, जब छतरपुर शहर अभी नींद से जाग ही रहा था, एक खबर पूरे इलाके में फैल गई – वरिष्ठ सरकारी डॉक्टर नीरज पाठक अपने ही घर में मृत पाए गए। शुरुआती जांच में कहा गया कि शायद हार्ट फेल हुआ होगा, लेकिन जब डॉक्टरों ने बॉडी का परीक्षण किया, तो आंखें चौंधिया गईं। शरीर पर कई जगहों पर जलने के निशान थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने साफ-साफ लिखा – मौत का कारण इलेक्ट्रोक्यूशन था, यानी शरीर में करंट लगना।

अब मामला एक हादसे से खिसककर हत्या की ओर बढ़ चुका था। पुलिस ने जांच शुरू की। घर में उस समय सिर्फ दो लोग थे – ममता पाठक और उनके पति नीरज पाठक। यहीं से शक की सुई ममता पर टिक गई। जांच में पता चला कि दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। पड़ोसियों ने कहा, झगड़े अक्सर होते थे। और फिर पुलिस को एक वॉइस नोट हाथ लगा – नीरज पाठक की खुद की आवाज़ में, जिसमें वो कह रहे हैं – “तुम मुझे रोज सज़ा देती हो ममता…”।

इतना ही नहीं, उनके ड्राइवर ने भी बयान दिया कि ममता ने एक दिन कहा था – “मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई…” इसके अलावा, ममता के रिश्तेदारों ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने कबूल किया था – “ये सब मेरे हाथों से हो गया।”पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और ममता को गिरफ्तार कर लिया गया। केस कोर्ट में गया, और वहीं से ये पूरा मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।कोर्टरूम में ममता पाठक का व्यवहार किसी आम आरोपी जैसा नहीं था। उन्होंने अपने बचाव में वकीलों पर नहीं, बल्कि अपने ज्ञान पर भरोसा किया। एक दिन कोर्ट में उन्होंने जजों से कहा – “सर, मैं एक केमिस्ट्री प्रोफेसर हूं। मुझे पता है कि करंट से जलने और गर्मी से जलने के निशानों में कैसे अंतर किया जाता है। पोस्टमॉर्टम में जो बताया गया है, वह गलत है।”

इसके बाद ममता ने कोर्ट में एक तरह से लेक्चर देना शुरू कर दिया। उन्होंने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, मेटल डिपॉजिशन, एसिड टेस्ट और फिजिकल बर्न पैटर्न जैसे साइंटिफिक शब्दों की झड़ी लगा दी। जज भी हैरान रह गए। उन्होंने माना कि ममता का ज्ञान गहरा है। उन्होंने टिप्पणी की – “हम पहली बार किसी आरोपी को इस तरह विज्ञान के ज़रिये अपना बचाव करते देख रहे हैं।”

लेकिन कोर्ट सिर्फ ज्ञान नहीं देखता, कोर्ट देखता है सच्चाई। कोर्ट देखता है सबूत। और ममता के खिलाफ सबूत काफी थे। न सिर्फ नीरज की मौत के हालात संदिग्ध थे, बल्कि उनके शरीर पर ऐसे निशान थे जो सामान्य करंट से नहीं, बल्कि प्लान करके दिए गए थे। ममता की गवाही और उनके अपने बयान उनकी ही कहानी को उलझा रहे थे। 2024 में अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। लेकिन ममता ने हार नहीं मानी। उन्होंने 2025 में हाईकोर्ट में अपील की – और इस बार भी उन्होंने अपना केस खुद लड़ा। उन्होंने दोबारा वही साइंटिफिक थ्योरीज दोहराईं, कहा कि “पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भारी चूक हुई है”, और एक बार फिर अदालत को रसायनशास्त्र की बारीकियाँ समझाने लगीं।

जजों ने उनकी दलीलों को गंभीरता से सुना, यहां तक कि कहा कि “हम खुले दिमाग से सुनवाई करेंगे।” लेकिन आखिरकार जब कोर्ट ने सारे सबूत, फॉरेंसिक रिपोर्ट्स और बयानों की जांच की, तो पाया कि विज्ञान की जटिल बातें हत्या के इरादे को नहीं ढँक सकतीं। 30 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने ममता की अपील को खारिज कर दिया और सेशन कोर्ट द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सज़ा को बरकरार रखा। ममता पाठक की ये कहानी उन चुनिंदा अपराध कथाओं में शामिल हो चुकी है, जहाँ एक पढ़ी-लिखी, बुद्धिमान और वैज्ञानिक सोच रखने वाली महिला ने अपने ज्ञान का इस्तेमाल किसी को बचाने के लिए नहीं, बल्कि एक हत्या को छिपाने के लिए किया।

क्या ममता वाकई दोषी थी? क्या उन्होंने जानबूझकर अपने पति को मौत के घाट उतारा, या यह सब एक बुरा हादसा था? ये बहस अब खत्म हो चुकी है। लेकिन जो बात हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देती है वो ये — कि कभी-कभी सबसे तेज़ दिमाग… सबसे ख़तरनाक भी साबित हो सकता है। ज्ञान, जब ज़हर बन जाए, तो वह सिर्फ किताबों में आग नहीं लगाता — वह ज़िंदगियों को भी जला डालता है।

Exit mobile version