DR CHIDAMBARAM: नहीं रहे वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाला चिदम्बरम, देश को परमाणु संपन्न बनाने में निभाई थी अहम भूमिका!

डॉ. चिदम्बरम (DR CHIDAMBARAM) ने 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण और 1998 में पोखरण-द्वितीय परीक्षण में निर्णायक भूमिका निभाई

NEW DELHI: प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक और भौतिक विज्ञानी डॉ. राजगोपाला चिदम्बरम (DR CHIDAMBARAM) का शनिवार को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने कहा कि डॉ. चिदम्बरम एक वैज्ञानिक थे जिन्होंने 1974 और 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने मुंबई के जसलोक अस्पताल में आखिरी सांस ली। डीएई ने एक बयान में कहा, “भारत के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक, डॉ. चिदंबरम (DR CHIDAMBARAM) को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके अद्वितीय योगदान और नेतृत्व के लिए हमेशा याद किया जाएगा।”

कई प्रमुख पदों पर कार्य किया

1936 में जन्मे डॉ. चिदंबरम ने प्रेसीडेंसी कॉलेज, चेन्नई और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से पढ़ाई की। अपने शानदार करियर में, उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक, परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (2001-2018) सहित कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। डॉ. चिदम्बरम (DR CHIDAMBARAM) ने 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण और 1998 में पोखरण-द्वितीय परीक्षण में निर्णायक भूमिका निभाई। इन परीक्षणों ने भारत को वैश्विक मंच पर एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

DR CHIDAMBARAM का देश के लिए योगदान

उनके नेतृत्व में, डीएई टीम ने परमाणु अनुसंधान और विकास में कई मील के पत्थर स्थापित किए। उच्च दबाव भौतिकी, क्रिस्टलोग्राफी और सामग्री विज्ञान में उनके शोध ने विज्ञान के इन क्षेत्रों में नई समझ पैदा की। भारत में आधुनिक सामग्री विज्ञान अनुसंधान की नींव रखी। डॉ. चिदम्बरम (DR CHIDAMBARAM) ने भारत में सुपर कंप्यूटर के स्वदेशी विकास और राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के शुभारंभ में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह नेटवर्क देशभर के शोध और शैक्षणिक संस्थानों को जोड़ने में मददगार बना।

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कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हुए

ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल और रणनीतिक आत्मनिर्भरता जैसे क्षेत्रों में नई परियोजनाएं शुरू कीं। जो भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में मील का पत्थर साबित हुईं। डॉ. चिदम्बरम को 1975 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। साथ ही सन 1999 में पद्म विभूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हुए हैं। डॉ. चिदम्बरम को कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त है। भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों के फेलो भी थे।

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