अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) ने 7 जुलाई 2025 को वैश्विक टैरिफ (Tariffs) लागू करने की समय सीमा को 9 जुलाई से बढ़ाकर 1 अगस्त कर दिया है। इस फैसले से भारत (India) को राहत मिली है, क्योंकि दोनों देश एक मिनी ट्रेड डील (Mini Trade Deal) को अंतिम रूप देने के करीब हैं। ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ व्यापार समझौते के “बेहद करीब” है, जिससे भारतीय निर्यातकों को 26% टैरिफ से बचने का मौका मिलेगा।भारत उन 14 देशों की सूची में शामिल नहीं था, जिन्हें ट्रम्प प्रशासन ने टैरिफ वृद्धि के लिए पत्र भेजे, जिनमें जापान, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश, और म्यांमार जैसे देश शामिल हैं।
1 अगस्त से 25% से 40% तक के टैरिफ लागू होंगे।
म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक 40% टैरिफ (Tariffs) लगाया जाएगा।भारतीय सरकारी सूत्रों के अनुसार, मिनी ट्रेड डील (Mini Trade Deal) की घोषणा “एक-दो दिन में” हो सकती है, लेकिन भारत तब तक आगे नहीं बढ़ेगा जब तक समझौते की शर्तें इसके हित में न हों। भारत ने अमेरिकी उत्पादों के लिए अधिकांश क्षेत्रों में बाजार पहुंच की पेशकश की है, लेकिन डेयरी और कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को बाहर रखा है। बदले में, अमेरिका से श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे कपड़ा और जूते पर कम टैरिफ की उम्मीद है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने चेतावनी दी है कि ये समझौते विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) मानकों को पूरा नहीं करते और असंतुलित हो सकते हैं। GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने इसे “YATRA – Yielding to American Tariff Retaliation Agreement” करार दिया, जिसका मतलब है कि देशों को अमेरिकी शर्तों को मानना पड़ सकता है।
ट्रम्प ने अप्रैल 2022 में ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ की घोषणा की थी, जिसमें भारत पर 26% टैरिफ लगाने की बात थी, लेकिन 90 दिनों की छूट दी गई थी। अब इस समय सीमा को 1 अगस्त तक बढ़ाया गया है, जिससे भारतऔर अमेरिका को बातचीत पूरी करने का अतिरिक्त समय मिल गया है।भारतीय निर्यातक इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, लेकिन मुंबई के निर्यातक शरद कुमार सराफ ने चेतावनी दी कि ट्रम्प “बेहद अप्रत्याशित” हैं, और व्यवसायों को सतर्क रहना चाहिए।
यह समझौता यदि अंतिम रूप लेता है, तो यह भारत-अमेरिका व्यापार (India-US Trade) संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में एकतरफा टैरिफ (Tariffs) वृद्धि का जोखिम बना रह सकता है।यात्री और व्यवसायी इस बदलते व्यापार परिदृश्य पर नजर रखें, क्योंकि इसका असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और उपभोक्ता कीमतों पर पड़ सकता है।