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क्या आप जानते हैं ,श्रीमती नहीं बेग से बना है बेगम !

The Story Of The Title Of Begum : “बेगम” कौन होती हैं ? क्या इसका मतलब श्रीमती होता है ! अगर नहीं जानते तो आइये जानने की कोशिश करते हैं। फ़ारसी में بیگم और उर्दू में بیگم इस तरह लिखा और बोला जाता है लेकिन ये चलन में आया “बेग” शब्द से जिसका मतलब था बेग की पदवी या उपाधि वाला एक उच्च अधिकारी और इन बेग साहब के साथ रहने वाली महिलाओं के लिए बेगम शब्द का इस्तेमाल किया गया।

“बेगम” से पहले हमें ‘बेग’ को समझना होगा जो एक तुर्की ओहदा या लक़ब है जो उच्च अधिकारी को दिया जाता है,और उन्हीं “बेग” साहब के साथ आने वाली ,उनके परिवार की सदस्य महिला को ‘बेगम’ कहकर बुलाया या सम्बोधित किया जाता है , जिसका मतलब है ‘बेग’ परिवार या फैमिली की एक महिला सदस्य जिसका रुतबा या दर्जा बेग साहब जितना ही है ।

बेग परिवार की हर महिला होती है बेगम /Each lady in Beg’s family is a Begum

“बेगम” पुकारी जाने वाली ये महिला केवल पत्नी नहीं बल्कि बेटी भी हो सकती है जिसे ‘छोटी बेगम’ या “बेग ज़ादी” यानी “बेग” की बेटी भी कहते हैं या घर की बहू है तो ‘बहू बेगम ‘ भी कहते हैं। दूसरी तरफ “बेगम” का इस्तेमाल दक्षिण एशिया में एक माननीय और ऊँची रैंक रखने वाली महिलाओं के लिए किया जाता है। जो शाही अंदाज़ ,रॉयल्टी वाली या अभिजात वर्ग की महिलाओं को सम्मानित करने के साथ उनकी सुदृढ़ सामाजिक स्थिति को भी दर्शाता है, जिसके मायने “रानी” या “मलिका” भी हो सकते हैं।

“बेगम” शब्द का इस्तेमाल मुस्लिम पुरुषों ने अपनी महिला सदस्यों या उज़्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की औरतों या फिर विवाहित और विधवा औरत को भी एक माननीय पता या पद दिलाने के लिए किया। ‘बेगम खालिदा जिया’ का नाम भी इसी बात का उदाहरण देता है। आम बोलचाल की भाषा में, ये शब्द उज़्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नियों, बेटियों, बहनों या शादीशुदा या विधवा महिला को इज्ज़त देने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

‘बेगमपेट हैदराबाद’ का नाम तो आपने सुना ही होगा जो ,भारत में प्रमुख वाणिज्यिक और आवासीय उपनगरों में से एक है। इसका नाम छठवें निज़ाम महबूब अली खान, आसफ़ जाह ने अपनी बेटी ,’ बशीर उन्नीसा बेगम ‘ के नाम पर रखा था और उन्होंने ये इलाक़ा उन्हें ‘पैगाह शम्स उल उमरा के दूसरे अमीर अमीर-ए-कबीर से शादी के दौरान दहेज के तौर पर दिया गया था।

बांग्लादेश में बेगम :

बांग्लादेश में इस शब्द का इस्तेमाल बांग्लादेश की मौजूदा और पूर्व फर्स्ट लेडी के टाइटल के लिए किया गया है, जैसे बेगम खालिदा ज़िया, बेगम फाजिलतुन्नेस मुजीब और बेगम रोशन इरशाद जिससे स्पष्ट होता है कि बेगम शब्द का इस्तेमाल समाज में ऊँचे रुतबे वाली महिलाओं, जैसे समाजसेवी, एक्टिविस्ट, लेखिकाओं के लिए किया गया है। यही नहीं खालिदा ज़िया और शेख हसीना, जो 1991 से बांग्लादेश की बारी-बारी से प्रधानमंत्री रही हैं, उन्हें “लड़ाकू बेगम” निकनेम दिया गया है।

पश्चिम में कैसे पहुँचा बेगम :-

पश्चिम में खासकर फ्रेंच बोलने वाली दुनिया में “बेगम” शब्द, जूल्स वर्न के 1879 के नॉवेल ‘द बेगम्स मिलियंस’ की वजह से मशहूर हुआ इसके अलावा ग्रेट ब्रिटेन में पहले भारत के पूर्व गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के इंपीचमेंट और पार्लियामेंट्री ट्रायल के दौरान भी सुर्ख़ियों में आया , जो 1787 से 1795 तक चला था क्योंकि हेस्टिंग्स पर आरोप था कि उन्होंने उस वक़्त की “अवध की बेगमों” यानी अवध के नवाब आसफ-उद-दौला की मां और दादी की ज़मीन ग़लत तरीके से ज़ब्त कर ली है। आखिर में हम कह सकते हैं कि श्रीमंत पदवी से आया, श्रीमान ,जिससे बना श्रीमती ,और बेग से बना “बेगम” या मलिका जो बादशाह की बेगम के तौर पर काफी मशहूर हुआ।

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