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क्या सूर्य देव की 12 कलाओं के बारे में जानते हैं आप

Surya Dev Ki 12 kalayein Hindi mein: भारतीय सभ्यता और हिंदू संस्कृति और धर्म में सूर्य को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए, उसे आदिदेव की संज्ञा दी गई है। चंद्रमा की तरह ही सूर्य की भी कलाएँ होती हैं, हिंदू पौराणिक कथाओं में सूर्य भगवान की 12 कलाएं वर्णित हैं और ये सूर्य की विभिन्न ऊर्जाओं और विशेषताओं को दर्शाती हैं। ये कलाएं सूर्य की शक्ति और महत्व को भी प्रदर्शित करती हैं।

सूर्य देव की 12 कलाएँ और उनके अर्थ

  1. तपिनी: तपिनी सूर्य की प्रथम कला है, यह तप और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। तपिनी कला सूर्य की प्राणशक्ति को दर्शाती है, जो जीवन को जीवंत और सक्रिय बनाती है।
  2. तापिनी: तापिनी कला को सूर्य की दूसरी कला माना जाता है, जो गर्मी और ऊर्जा को दर्शाती है। तापिनी कला सूर्य की ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है, जो जीवन को गर्मी और ऊर्जा प्रदान करती है।
  3. धूम्रा: धूम्रा कला सूर्य की तीसरी कला है, जो धुएं या वाष्प को दर्शाती है। धूम्रा कला सूर्य की उस ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है, जो जीवन को शुद्धि और परिवर्तन की प्रक्रिया से जोड़ती है।
  4. मरीची: सूर्य की चौथी कला मरीची है। मरीची कला सूर्य की प्रकाशमान किरणों का प्रतीक है, जो जीवन को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करती है।
  5. ज्वालिनी: सूर्य की ज्वालिनी कला सूर्य बहुत ही तीव्र ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यह शुद्धि और परिवर्तन की प्रक्रिया को भी दर्शाता है, जो जीवन को नया रूप और दिशा देती है।
  6. रुचि: सूर्य की रुचि कला उसके प्रकाश और सुंदरता को दर्शाती है। यह कला सूर्य की आकर्षक और मनमोहक ऊर्जा का प्रतीक है, जो जीवन को सुंदरता और आनंद प्रदान करती है।
  7. स्वधा: सूर्य की स्वधा कला आत्म-शक्ति और स्थिरता का प्रतिनिधि है। यह कला सूर्य की उस शक्ति या ऊर्जा का प्रतीक है, जो जीवन को स्थिरता और संतुलन प्रदान करती है।
  8. स्वाहा: सूर्य की स्वाहा कला विकारों की आहुति या यों कहें समर्पण की प्रक्रिया को भी दर्शाती है, जो जीवन को अध्यात्मिकता और शुद्धि प्रदान करती है।
  9. शांति: शांति कला सूर्य की वह कला है, जो शांति और स्थिरता को दर्शाती है। अर्थात शांति कला जीवन को शांति, स्थिरता और संतुलन प्रदान करती है।
  10. प्रभा: सूर्य की यह कला सूर्य की ऊर्जा और शक्ति वह प्रतीक है, जो जीवन को प्रकाश, ज्ञान और तेज प्रदान करती है। वास्तविकता में प्रभा का अर्थ होता है प्रकाशित होना।
  11. विधृति: सूर्य की विधृति कला वास्तविकता में सूर्य की उस ऊर्जा का प्रतीक है जो धारण और जीवन के पोषण का प्रतीक होता है।
  12. विष्णु: विष्णुकला सूर्य की वह कला है, जो विश्व और यहाँ के जीवों के संरक्षण और उनके पालन-पोषण और प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है। चूंकि भगवान विष्णु को जगत का पालक माना जाता है और सूर्य को भी जीवन पालन-पोषण का प्रमुख आधार माना जाता है।

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