एक मामले की सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फ़ैसला दिया है कि बिना जानकारी दिए फ़ोन पर पत्नी की बातचीत रिकॉर्ड करना निजता का उल्लंघन है
अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार महिला के गुज़ारा भत्ता पर फैमिली कोर्ट के दिए फ़ैसले पर पुनर्विचार से जुड़ी याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये फ़ैसला दिया.
अक्तूबर 2021 मामला है महासमुंद की एक फैमिली कोर्ट के दिए आदेश का है. महिला का कहना था कि उसके पति द्वारा रिकॉर्ड की गई बात के आधार पर उनसे सवाल करने की इजजात दी गई थी. उनके खिलाफ हाई कोर्ट पर अपील की गई थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक महिला याचिकाकर्ता को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके पति ने किस वक्त और क्या बातचीत रिकॉर्ड की थी. पति कोर्ट के सामने महिला के चरित्र पर सवाल उठाना चाहते थे, इस तरह वो तलाक़ लेने के बाद पत्नी को गुज़ारा भत्ता देने से बच सकते थे.
याचिकाकर्ता की वकील का कहना है कि फैमिली कोर्ट का आदेश महिला की निजता का उल्लंघन है.
हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन ने कहा, “ऐसा लगता है कि प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता की जानकारी के बिना ही उनकी बातचीत रिकॉर्ड की है. ये याचिकाकर्ता के प्राइवेसी का उल्लंघन है भारतीय संविधान से मिले उनके अधिकार की अवमानना है.
कोर्ट का कहना था कि- संविधान की धारा 21 जीने का अधिकार देता है। इसमें निजता का अधिकार अहम हिस्सा है. फॅमिली कोर्ट से थोड़ी गलती हुई है. कोर्ट का कहना था की फॅमिली कोर्ट को इससे लेकर चूक हुई है. कोर्ट फॅमिली फॅमिली कोर्ट के आदेश को ख़ारिज करती है.