Health Tips For Sitting Job: रोजाना की लंबी सिटिंग कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है। शोध बताते हैं कि केवल 30 मिनट की सिटिंग के दौरान मेटाबॉलिज्म लगभग 90% तक धीमा हो जाता है। आर्टरीज से खराब फैट हटाकर मांसपेशियों तक पहुंचाने वाले एंजाइम धीमे पड़ जाते हैं, जिससे फैट बर्न नहीं हो पाता। और यह आर्टरीज में इकट्ठा होने लगते हैं। इसके अलावा लोअर बॉडी की मांसपेशियों की एक्टिविटी लगभग खत्म हो जाती है।
वहीं यदि आप लगातार 2 घंटे तक बैठे रहते हैं तो शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल (good cholesterol) का स्तर लगभग 20 प्रतिशत तक गिर जाता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी के अनुसार लॉन्ग सिटिंग के नुकसान से बचने के लिए हर तीस मिनट के बाद 3 मिनट की जरूरी है। नर्वे में किए गए एक अध्ययन के अनुसार यदि कोई व्यक्ति रोज 8 घंटे सिटिंग करता है तो उसे इसके नुकसान से बचने के लिए रोज 60 से 75 मिनट तक ब्रिस्क वॉक या 8 किमी/घंटा की रफ्तार से साइकिलिंग करनी चाहिए।
सिटिंग के नुकसान से ऐसे बचें
- एक बार 30 मिनट का लम्बा ब्रेक जरूर लें. आँखों और मस्तिष्क की क्षमता बढ़िया रहती है.
- 20 से 30 मिनट में पोस्चर को चेक करें।
- सही पोस्चर जोड़ों मसल्स को नुकसान से बचाता है.
- बीच-बीच में किसी डांस मूव को बीच-बीच में करे
कितना नुकसान हो सकता है?
- 4 घंटे से कम : यह आदर्श है। रोज 8 घंटे की सिटिंग में यदि 4 घंटे बैठे और 4 घंटे खड़े रहते हैं तो 10 फुल मैराथन के बरार फायदा मिलता है।
सिटिंग यदि 4-8 घंटे है : कई तरह के रिस्क शुरू हो जाते हैं। अधिक समय तक खड़े रहने की तुलना में बैठे रहने से थकावट ज्यादा होती है। - यदि 8-11 घंटे है : व्यक्ति में आकस्मिक मृत्यु का खतरा 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। लंबी सिटिंग से डायबिटीज, हृदय रोग जैसी बीमारियां होती हैं इनसे मृत्यु का खतरा बढ़ता है।.
- रोज 11 घंटे से अधिक समय तक बैठते हैं तो : आकस्मिक मृत्यु का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इसके दुष्प्रभाव को रोज 30 मिनट की एक्सरसाइज से भी कम नहीं किया जा सकता।
यदि लगातार 2 घंटे बैठे रहते हैं तो..
- पैरों की मसल्स की गतिविधि लगभग बंद हो जाती है
- । प्रति मिनट 1 कैलोरी की दर से कैलोरी बर्निंग कम होने लगती है।
- फैट तोड़ने वाले एंजाइम 90% तक कम हो जाते हैं। .
- धड़, गर्दन और कंधों को संभालने वाली मांसपेशियां स्थिर हो जाती हैं। रक्तवाहिकाएं (Blood vessels) सिकुड़ती हैं, रक्त का प्रवाह कम होता है, जिससे थकान होने लगती है।
- फेफड़ों और दिल की क्षमता कम होती है।
- इंसुलिन की प्रभावशीलता कम होती है। –
- रीढ़, लोअर बैक एवं गर्दन में तनाव पड़ता है, जिससे मस्तिष्क की क्षमता भी प्रभावित होती है।