3,000 साल बाद Dire Wolf की वापसी! विज्ञान का सबसे खूबसूरत चमत्कार

Dire Wolf News Hindi: हाल ही में खबर आई है कि लगभग 13,000 साल पहले विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ (Dire Wolf) को वैज्ञानिकों ने फिर से जीवित कर दिया (The Dire Wolf has been revived by scientists) है। यह उपलब्धि विज्ञान की दुनिया में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।

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डायर वूल्फ को फिर से जिंदा कैसे किया गया

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How the Dire Wolf was brought back to life: डायर वुल्फ को वापस लाने के लिए वैज्ञानिकों ने जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) और क्लोनिंग (Cloning) की अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया। सबसे पहले, उन्होंने प्राचीन डायर वुल्फ (Dire Wolf DNA) के डीएनए (DNA) को दो जीवाश्मों (Fossils) से निकाला – एक 13,000 साल पुराना दांत और दूसरा 72,000 साल पुरानी कान की हड्डी। इसके बाद, इस डीएनए को विश्लेषण करके डायर वुल्फ का जीनोम (Genome) तैयार किया गया। फिर, ग्रे वुल्फ (Gray Wolf), जो डायर वुल्फ का सबसे करीबी जीवित रिश्तेदार है, के डीएनए में 20 खास बदलाव किए गए। इन बदलावों से डायर वुल्फ की खासियतें जैसे बड़ा आकार, सफेद फर, और मजबूत जबड़े वापस लाए गए। इसके बाद, इस संशोधित डीएनए को ग्रे वुल्फ की कोशिकाओं में डाला गया और embryos को सरोगेट कुत्तों (Surrogate Dogs) के गर्भ में विकसित किया गया। इस प्रक्रिया से तीन पिल्लों का जन्म हुआ।

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डायर वुल्फ कहां पाले जा रहे हैं

Where are Dire Wolves being raised: यह प्रयोग अमेरिका में हुआ। इसे करने वाली संस्था, Colossal Biosciences, डलास (Dallas), टेक्सास में स्थित एक बायोटेक कंपनी है। इन डायर वुल्फ पिल्लों को एक गोपनीय 2,000 एकड़ के संरक्षित क्षेत्र (Ecological Preserve) में रखा गया है, जो उत्तरी अमेरिका में कहीं स्थित है। इस जगह को 10 फीट ऊँची बाड़ और ड्रोन निगरानी से सुरक्षित किया गया है।

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डायर वूल्फ को वापस ज़िंदा किसने किया

Who brought the Dire Wolf back to life: यह काम Colossal Biosciences ने किया, जिसके सह-संस्थापक और CEO बेन लैम (Ben Lamm) और मुख्य वैज्ञानिक बेथ शापिरो (Beth Shapiro) हैं। इस कंपनी ने पहले भी विलुप्त प्रजातियों को वापस लाने की दिशा में काम किया है। बेन लैम ने कहा, “हमने 13,000 साल पुराने दांत और 72,000 साल पुरानी खोपड़ी से डीएनए लेकर स्वस्थ डायर वुल्फ पिल्ले बनाए। यह तकनीक जादू से कम नहीं है।”

डायर वुल्फ को वापस ज़िन्दा करने की क्या जरूरत थी

Colossal Biosciences का मकसद विलुप्त प्रजातियों को वापस लाना (De-extinction) और जैव विविधता (Biodiversity) को संरक्षित करना है। उनका मानना है कि यह तकनीक न सिर्फ विलुप्त जानवरों को लौटा सकती है, बल्कि लुप्तप्राय प्रजातियों (Endangered Species) को बचाने में भी मदद कर सकती है। उदाहरण के लिए, वे इस तकनीक का इस्तेमाल रेड वुल्फ (Red Wolf) जैसी प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। साथ ही, यह एक व्यावसायिक उद्यम भी है, क्योंकि कंपनी का मूल्यांकन 10 अरब डॉलर से ज्यादा है।

इन वुल्फ के नाम क्या हैं?

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इन तीन डायर वुल्फ पिल्लों के नाम रोमुलस (Romulus), रेमुस (Remus), और खलीसी (Khaleesi) रखे गए हैं। रोमुलस और रेमुस रोम की स्थापना से जुड़े पौराणिक भाइयों के नाम हैं, जिन्हें एक भेड़िए ने पाला था। वहीं, खलीसी “Game of Thrones” सीरीज से प्रेरित है, जिसमें डायर वुल्फ को लोकप्रिय बनाया गया। रोमुलस और रेमुस का जन्म 1 अक्टूबर, 2024 को हुआ, जबकि खलीसी का जन्म जनवरी 2025 में हुआ।

लोग चिंतित क्यों हैं?

इस प्रयोग से कई चिंताएँ जुड़ी हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ये पिल्ले असली डायर वुल्फ नहीं हैं, बल्कि ग्रे वुल्फ के संशोधित रूप हैं, क्योंकि इनमें सिर्फ 20 जीन बदलाव किए गए, जबकि दोनों प्रजातियों के जीनोम में लाखों अंतर हैं। दूसरी चिंता यह है कि इन जानवरों को जंगल में छोड़ना संभव नहीं होगा, क्योंकि उनका मूल आवास (Habitat) अब मौजूद नहीं है। इससे वे केवल चिड़ियाघरों तक सीमित रह सकते हैं। इसके अलावा, नैतिक सवाल (Ethical Concerns) भी उठ रहे हैं – क्या हमें विलुप्त प्रजातियों को वापस लाना चाहिए, या मौजूदा प्रजातियों को बचाने पर ध्यान देना चाहिए? कुछ लोग इसे “Jurassic Park” जैसी स्थिति से जोड़कर देखते हैं, जहाँ यह तकनीक खतरनाक हो सकती है।

क्या यह संस्था दूसरे जानवरों को भी जिंदा करेगी?

हाँ, Colossal Biosciences का लक्ष्य अन्य विलुप्त प्रजातियों को भी वापस लाना है। वे वूली मैमथ (Woolly Mammoth) को 2028 तक, डोडो पक्षी (Dodo), और थायलासीन (Thylacine या Tasmanian Tiger) को भी फिर से जीवित करने की योजना बना रहे हैं। हाल ही में उन्होंने “Woolly Mouse” बनाया, जो मैमथ की विशेषताओं वाला चूहा है। उनकी तकनीक में प्राचीन डीएनए और CRISPR जीन एडिटिंग का उपयोग होता है।

क्या डायनासोर को भी डायर वूल्फ की तरह ज़िन्दा किया जा सकता है

Can dinosaurs be brought back to life like the Dire Wolf: डायनासोर (Dinosaurs) को इस पद्धति से जिंदा करना मुश्किल है। डायर वुल्फ के डीएनए को 13,000 साल पुराने जीवाश्मों से निकाला गया, जो अभी भी संरक्षित था। लेकिन डायनासोर 6.6 करोड़ साल पहले विलुप्त हुए थे, और उनका डीएनए इतने लंबे समय तक नहीं टिक सकता। वैज्ञानिकों का मानना है कि डीएनए एक मिलियन साल से ज्यादा पुराना होने पर उपयोग योग्य नहीं रहता। इसलिए, “Jurassic Park” की तरह डायनासोर को वापस लाना अभी असंभव है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिक पक्षियों (जो डायनासोर के वंशज माने जाते हैं) के डीएनए में बदलाव कर डायनासोर जैसी विशेषताएँ लाने की बात करते हैं, लेकिन यह पूरी तरह अलग प्रयोग होगा।

डायर वुल्फ की वापसी विज्ञान की एक बड़ी छलांग है, लेकिन यह सवाल भी उठाती है कि क्या हमें प्रकृति के साथ इतना छेड़छाड़ करना चाहिए। Colossal Biosciences की यह तकनीक भविष्य में जैव विविधता को बढ़ा सकती है, पर इसके जोखिमों और नैतिक पहलुओं पर बहस जारी रहेगी। रोमुलस, रेमुस, और खलीसी आज उस इतिहास का हिस्सा हैं, जो 13,000 साल बाद फिर लिखा जा रहा है।

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