DIPAWALI-DHANTERAS 2025 : धनतेरस व दीवाली में शुभ संकेत समझें,क्या खरीदें-क्या न खरीदें – भारत में दीपावली सिर्फ रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि आस्था, समृद्धि और शुभता का उत्सव है। पांच दिवसीय यह पर्व धनतेरस से आरंभ होकर भाई दूज तक चलता है। हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है कहीं धन की देवी लक्ष्मी की आराधना की जाती है, तो कहीं यमराज को दीप अर्पित कर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस से लेकर दीपावली तक किए गए शुभ कार्य और खरीदारी घर में धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य का वास कराती है, जबकि कुछ वस्तुएं ऐसी भी हैं जिन्हें इन दिनों भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए। आइए जानते हैं इन शुभ-अशुभ बातों का विस्तार से अर्थ और महत्व क्या है।
DIPAWALI-DHANTERAS 2025,धनतेरस से शुभता और संपन्नता का आरंभ – धनतेरस, दीपावली पर्व का पहला दिन होता हो जाता है जिसे “धनत्रयोदशी” भी कहा जाता है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि देव प्रकट हुए थे जिनके हाथों में अमृत कलश था, इसलिए इस दिन धन और स्वास्थ्य दोनों की कामना की जाती है।
DIPAWALI-DHANTERAS 2025,धनतेरस पर शुभ खरीदारी – धनतेरस पर शुभ वस्तुएं खरीदना सालभर की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। परंपरागत रूप से निम्न वस्तुएं खरीदना अत्यंत मंगलकारी है जैसे –
सोना और चांदी – ये धातुएं लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती हैं। सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण या लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ इस दिन खरीदना अत्यंत शुभ होता है।
पीतल और तांबे के बर्तन – इन धातुओं में पूजा और रसोई दोनों के लिए पवित्रता होती है।
झाड़ू – मां लक्ष्मी का प्रिय प्रतीक, नई झाड़ू खरीदने से दरिद्रता का नाश और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
मिट्टी के दीपक – इन्हें जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में उजाला बढ़ता है।
नमक – इस दिन नया नमक खरीदना आर्थिक स्थिरता का सूचक माना जाता है।
घर की उपयोगी वस्तुएं – जैसे छोटे घरेलू उपकरण, पूजा सामग्री, सजावट के सामान आदि।
DIPAWALI-DHANTERAS 2025,धनतेरस की अन्य परंपराएं
घर की सफाई – धनतेरस से ही घर की साफ-सफाई और सजावट का सिलसिला शुरू होता है। घर को सुव्यवस्थित करना और पुराने-टूटे सामान को हटाना नकारात्मकता को समाप्त करता है। ऐसा माना जाता है कि स्वच्छ घर में ही लक्ष्मी का वास होता है।
यम दीपदान – धनतेरस की संध्या को यम दीपदान करना आवश्यक होता है। सूर्यास्त के बाद एक मिट्टी का दीया तेल या घी से भरकर घर के बाहर, विशेषकर दक्षिण दिशा या कूड़ेदान के पास जलाया जाता है। इस दीए को “यम दीप” कहा जाता है। यह दीप अकाल मृत्यु से रक्षा करता है और परिवार में शांति एवं स्थायित्व लाता है।
DIPAWALI-DHANTERAS 2025,दीपावली का पर्व : लक्ष्मी-गणेश की आराधना और शुभ संकेत
धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली का पावन पर्व आता है। यह दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर देव और सरस्वती जी की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन की शुभ घड़ी – दीपावली की संध्या को शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है। पूजन में चांदी के सिक्के, कमल के फूल, मिठाई, दीपक और धूप का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस समय पूजा करने से वर्षभर धन की वृद्धि होती है।
इन शुभ दिनों में क्या न खरीदें-जिस प्रकार कुछ वस्तुएं खरीदने से शुभता आती है, उसी प्रकार कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें इन दिनों भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए, जैसे-
कांच या लोहे की वस्तुएं – ये दुर्भाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं।
तेज धार वाले औजार – इनसे रिश्तों में कटुता आती है।
काले रंग की चीजें – यह नकारात्मकता और राहु-केतु के प्रभाव को बढ़ाती हैं।
पुराना या सेकंड हैंड सामान – लक्ष्मी का वास नए और स्वच्छ स्थानों पर होता है, इसलिए पुराना सामान खरीदना अशुभ माना गया है।
DIPAWALI-DHANTERAS 2025,अशुभ ऊर्जा से बचने के उपाय – दीपावली से पहले घर के कोनों, छत और दरवाजों की अच्छी तरह सफाई करें,मुख्य द्वार पर रंगोली और तोरण लगाएं। पूजा स्थान पर घी का दीपक लगातार जलता रहे, इसे कभी बुझने न दें। सकारात्मक विचार रखें, क्रोध और विवाद से बचें क्योंकि लक्ष्मी स्थिर मन में ही निवास करती हैं।
विशेष – धनतेरस से लेकर दीपावली तक का समय आत्मशुद्धि, सृजन और संपन्नता का काल है। इन दिनों की परंपराएं केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और अनुशासन लाने के प्रतीक हैं। जब हम अपने घर को स्वच्छ करते हैं, दीप जलाते हैं, और शुभ वस्तुएं खरीदते हैं तो हम न केवल लक्ष्मी का स्वागत करते हैं, बल्कि अपने भीतर के अंधकार को भी प्रकाश में बदलते हैं। इस दीपावली, अपने घर में ही नहीं, अपने मन में भी दीप जलाएं ताकि आने वाला वर्ष उज्जवल, मंगलकारी और समृद्धि से भरा हो।