Dilip Kumar to Dharmendra: भारतीय सिनेमा का स्वर्णिम दौर केवल फिल्मों का युग नहीं था। इस युग में बनने वाली फिल्में ऐसी अद्भुत धरोहर हैं जिसे हमेशा से ही पीढ़ियों को प्रेरित किया है। आज वीएफएक्स और बड़े-बड़े बजट के बीच भी जब क्लासिक फिल्मों की बात होती है तो हमारी आंखों के सामने दिलीप कुमार की भावनाएं, राज कपूर की एक्टिंग, राजकुमार की शानदार डायलॉग डिलीवरी, धर्मेंद्र की जोशीली ऊर्जा और संजीव कुमार की गंभीरता आ जाती है।

इन पुरानी फिल्मों से दर्शक ही नही कलाकार भी लेते हैं प्रेरणा
जी हां क्लासिकल फिल्मों में केवल कहानी नहीं होती है वह समाज को समझने, मानवीय संवेदनाओं में डूबने और अभिनय की पराकाष्ठा को समझने का माध्यम होती है। और यदि आप भी एक सच्चे सिनेमा प्रेमी है तो कुछ फिल्मों का देखना आपके लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि इन फिल्मों को देखने के बाद ही आप समझ पाएंगे कि भारतीय फिल्में शुरुआत से ही कला परंपरा का प्रतिनिधित्व करती थी। आज के इस लेख में हम आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताएंगे जो आज भी अमर कहानी कही जाती हैं।
मुग़ल-ए-आजम : 1960 के दशक में बनी दिलीप कुमार अभिनित यह फिल्म एक ऐतिहासिक प्रेम कथा है। यह फिल्म इतनी पॉपुलर हुई कि इस फिल्म के बाद से दिलीप कुमार को हिंदी फिल्म जगत का सुपरस्टार कहा जाने लगा। फिल्म में विशाल सेट का इस्तेमाल किया गया था। सलीम अनारकली का प्रेम, अकबर का दबाव, इस सबने इस फिल्म को इतना भव्य बनाया कि आज भी एक्टिंग में दिलचस्पी रखने वाले इस फिल्म को अभिनय की पाठशाला कहते हैं।
श्री 420: 1955 के दशक में राज कपूर द्वारा अभिनीत इस फिल्म में एक गरीब ईमानदार और महत्वाकांक्षी व्यक्ति कहानी दिखाई गई है। इस फिल्म में राज कपूर की एक्टिंग इतनी मासूम और इतनी प्रभावशाली थी कि लोगों के दिल में आज भी राज कपूर की छवि चार्ली चैपलिन की तरह बस चुकी है। इस फिल्म का गाना ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ आज भी अमर गीत माना जाता है।
वक्त : 1965 में राजकुमार अभिनीत इस फिल्म को अपने दमदार डायलॉग के लिए जाना जाता है। वक्त एक ऐसी फिल्म है जिसमें भारी भरकम पॉवरफुल डायलॉग्स का इस्तेमाल किया गया। यह फिल्म मल्टीस्टारर थी जिसके गाने तो गाने डायलॉग भी लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे और इस फिल्म ने इतिहास में अपनी जगह बना ली।
शोले: 1975 में धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन की शोले जिसका मेन कैरेक्टर गब्बर सिंह हम सब की यादों में बसा हुआ है। यह फिल्म जहां एक ओर भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुई वहीं इस फिल्म ने भारतीय फ़िल्म जगत को नया आयाम भी दिया। जिसके बाद दोस्ती पर एक के बाद एक फिल्में आती गई। इस फिल्म की वजह से धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन ही नहीं बल्कि अमजद खान, असरानी, हेमा मालिनी को भी प्रसिद्धि मिली।
कुल मिलाकर भारतीय सिनेमा जगत की कुछ ऐतिहासिक फिल्में आज भी हमारी यादों में बसी हुई है और इन्हें देखने पर पता चलता है कि किस प्रकार इन फिल्मों ने हमें सिनेमा से भावनात्मक रूप से जोड़ा है।
