राजगढ़ के खिलचीपुर में मीडिया के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे चुनाव लड़ने का प्रश्न इसलिए नहीं आता क्योंकि मैं राज्यसभा का सदस्य हूं. अभी सवा दो साल मेरे पास हैं. ऐसे में राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार कौन होगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ये पार्टी तय करेगी।
कांग्रेस सांसद और एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. राजगढ़ के खिलचीपुर में मीडिया के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे चुनाव लड़ने का प्रश्न इसलिए नहीं आता क्योंकि मैं राज्यसभा का सदस्य हूं. अभी सवा दो साल मेरे पास हैं. ऐसे में राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार कौन होगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ये पार्टी तय करेगी। दिग्विजय सिंह 27 जनवरी को खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने पहुंचे थे.
वे राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में संगठन की समीक्षा कर रहे हैं. तीन दिन पहले उन्होंने पहले दौरे में ब्यावरा और नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र में संगठनात्मक बैठकों में हिस्सा लिया था. राजगढ़ जिले के तीन दिवसीय दौरे पर उन्होंने पहले दिन खिलचीपुर विधानसभा के ब्लॉक मंडल, सेक्टर और बूथ लेवल कार्यकर्ताओं की तीन सत्रों में बैठक ली.
2019 का लोकसभा चुनाव हार चुके हैं दिग्विजय सिंह
2003 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद दिग्विजय सिंह ने अगले 10 साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ा. वे 2019 के लोकसभा चुनाव में भोपाल से उतरे। इस चुनाव में दिग्विजय सिंह, भाजपा की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से चुनाव हार गए थे. अब उनके भोपाल या राजगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं.
राजगढ़ से दिग्विजय के नाम की चर्चा क्यों?
राजगढ़ लोकसभा दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के प्रभाव की सीट रही है. मोदी लहर के बाद से इस सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है. 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह उम्मीदवार बने. कांग्रेस ने इस सीट पर सामान्य कार्यकर्ता नारायण सिंह और आमलाबे को उतारा। दिग्विजय ने आमलाबे के लिए जमकर प्रचार किया और उनके छोटे भाई को हराकर कांग्रेस उम्मीदवार नारायण सिंह आमलाबे संसद पहुंच गए.
राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभाएं आती हैं. इनमें से 6 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं. दो सीटें कांग्रेस के कब्जे में हैं. वर्तमान में यहां भाजपा के रोडमल नागर सांसद हैं.