Mahakumbh 2025 : बसंत पंचमी से प्रारंभ होगी कठिन साधु तपस्या, 16 घाटों का होगा कठोर तप, क्यों होती है ये साधना?

Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में इस समय महाकुंभ की धूम जारी है। दुनिया भर से श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आ रहे हैं। इस बीच वैष्णव परंपरा के तपस्वी वसंत पंचमी से कुंभनगरी में सबसे कठिन पारंपरिक साधना शुरू करने जा रहे हैं। इसके लिए खाक चौक में तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। इस बार 350 साधक खप्पर तपस्या करेंगे। धूनी साधना की खप्पर तपस्या अंतिम श्रेणी की होती है। इसके आधार पर अखाड़े में साधुओं की वरिष्ठता तय होती है।

वैष्णव परंपरा की यह सबसे बड़ी तपस्या है।

वैष्णव परंपरा में श्रीसंप्रदाय (रामानंदी संप्रदाय) में धूना तप को सबसे बड़ी तपस्या माना जाता है। पंचांग के अनुसार यह तपस्या शुरू होती है। तेरह भाई त्यागी आश्रम के परमात्मा दास ने बताया कि यह तपस्या सूर्य उत्तरायण के शुक्ल पक्ष से शुरू होती है। तपस्या से पहले साधक निर्जली व्रत रखता है। इसके बाद धूनी में बैठता है। तपस्या छह चरणों में पूरी होती है। ये छह चरण हैं पंच, सप्त, द्वादश, चौरासी, कोटि और खप्पर श्रेणी। प्रत्येक श्रेणी तीन वर्ष में पूरी होती है। इस प्रकार तपस्या पूरी होने में 18 वर्ष लगते हैं।

दिगंबर अखाड़े का क्या कहना है? Mahakumbh 2025

दिगंबर अखाड़े के सीताराम दास कहते हैं कि सभी छह श्रेणियों में तपस्या की अलग-अलग विधि है। सबसे प्रारंभिक पंच श्रेणी है। यह साधुओं द्वारा दीक्षा लेने के बाद की प्रारंभिक तपस्या है। इसमें साधक पांच स्थानों पर जल रही अग्नि की लपटों के बीच बैठकर तपस्या करते हैं। दूसरी श्रेणी में सात स्थानों पर जल रही अग्नि के बीच बैठकर तपस्या करनी होती है। इसी प्रकार द्वादश श्रेणी में 12 स्थानों पर जल रही अग्नि के बीच बैठकर तपस्या करनी होती है, 84 श्रेणी में सैकड़ों स्थानों पर जल रही अग्नि के बीच बैठकर तपस्या करनी होती है।

सबसे कठिन साधना है खप्पर तपस्या

खप्पर श्रेणी की तपस्या सबसे कठिन होती है। परमात्मा दास के अनुसार सिर के ऊपर एक बर्तन में अग्नि रखकर उसे जलाया जाता है। इसकी लौ के बीच में साधक को रोजाना 6 से 16 घंटे तक तपस्या करनी होती है। यह बसंत से गंगा दशहरा तक चलता है। यह क्रम तीन साल तक चलता है। इसके पूरा होने पर साधक की 18 साल की तपस्या पूरी मानी जाती है। उनका कहना है कि अखाड़ों, आश्रमों समेत खालसा में इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। खाक चौक में दिगंबर, निर्मोही और निर्वाणी समेत करीब साढ़े तीन सौ तपस्वी इस कठिन साधना को करेंगे, जबकि अन्य साधक अपनी तपस्या का दूसरा चरण करेंगे।

कई संत दोबारा करते हैं खप्पर तपस्या | Mahakumbh 2025

इस साधना के साथ ही खाक चौक के तपस्वियों की संत समुदाय में वरिष्ठता भी तय होती है। कई साधक महाकुंभ से अपनी साधना शुरू करते हैं। वे पंच धुना से शुरुआत करते हैं। इसी प्रकार जब क्रम आगे बढ़ता है तो खप्पर श्रेणी आती है जो अंतिम होती है। खप्पर श्रेणी के साधक सबसे वरिष्ठ माने जाते हैं। कई साधक खप्पर तपस्या पूरी होने के बाद भी दोबारा तपस्या शुरू कर देते हैं।

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