Jharkhand Election Result: क्या Hemant Soren को Jharkhand Elections में मिली सहानुभूति? BJP को कहां से मिला झटका?

Jharkhand Election Result: झारखंड विधानसभा चुनाव में सभी 81 सीटों के रुझान आ गए हैं। इसमें भाजपा गठबंधन 31 और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) 48 सीटों पर आगे चल रहा है। इससे यह साफ हो गया है कि झारखंड में हेमंत सोरेन फिर से सत्ता में वापसी करने जा रहे हैं। हालांकि, अंतिम चुनाव परिणाम आने तक कोई दावा नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर मौजूदा रुझान नतीजों में बदलते हैं तो झारखंड में हेमंत सोरेन की यह ऐतिहासिक जीत होगी। क्योंकि झारखंड की जनता अब तक हर 5 साल में सत्ता बदलती रही है। अगर यहां झामुमो जीतती है तो वह लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी करने वाली राज्य की पहली पार्टी बन जाएगी।

झारखंड में भाजपा से कहां हुई चूक? Jharkhand Election Result

लेकिन सवाल यह है कि महाराष्ट्र में विपक्ष का सफाया करने वाली भाजपा ने झारखंड में ऐसी कौन सी गलती की, जिसकी वजह से वह सत्ता के करीब नहीं पहुंच पाई। क्या यह माना जाए कि हेमंत सोरेन के जेल जाने और उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई ने आदिवासियों के बीच उनके लिए नई सहानुभूति पैदा की, जिसने राज्य में सोरेन के खिलाफ सरकार की एंटी-इनकंबेंसी को भी खत्म कर दिया। क्या हेमंत सोरेन द्वारा अपनी सरकार के दोबारा सत्ता में आने पर महिलाओं के खातों में हर महीने 1000 रुपये देने की योजना को बढ़ाकर 2500 रुपये करने की घोषणा ने महिलाओं को उनके पक्ष में कर दिया? मौजूदा रुझान इस ओर इशारा कर रहे हैं।

झारखंड में भाजपा का दांव पड़ा उल्टा। Jharkhand Election Result

झारखंड चुनाव में भाजपा ने हेमंत सोरेन के भ्रष्टाचार और भूमि जिहाद तथा घुसपैठ को मुद्दा बनाया था, लेकिन लगता है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी की कार्रवाई और उसके बाद उन्हें जेल जाना… फिर सोरेन की भाभी सीता सोरेन और फिर चंपई सोरेन का भाजपा की पार्टी में शामिल होना उसका खेल बिगाड़ गया। ऐसा लगता है कि झारखंड की जनता और आदिवासियों ने इन घटनाओं को हेमंत सोरेन का उत्पीड़न माना और इस तरह जनता की सहानुभूति हेमंत सोरेन के साथ चली गई। इसलिए भाजपा का कोई भी मुद्दा यहां काम नहीं कर सका।

महिलाओं ने सोरेन को दिलाई जबरदस्त बढ़त।

अगर रुझान नतीजों में बदलते हैं, तो यह साफ हो जाएगा कि झारखंड की महिलाओं ने इस बार हेमंत सोरेन के पक्ष में मतदान किया। इसके पीछे 2 वजहें मुख्य वजह मानी जा सकती हैं। पहला, सोरेन की वापसी के बाद उनके खातों में 1000 रुपये प्रतिमाह आने वाली योजना के बढ़कर 2500 रुपये हो जाने की उम्मीद और हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के चुनाव मैदान में उतरने के प्रति महिलाओं में पैदा हुई सहानुभूति, जिसने झारखंड में भाजपा को बड़ा झटका दिया।

आदिवासियों के बीच सोरेन का जलवा कायम

झारखंड में अगर झामुमो सत्ता में लौटता है, तो यह माना जाएगा कि हेमंत सोरेन का आदिवासियों के बीच प्रभाव और गहरा हुआ है। मुख्यमंत्री रहते हुए वे जेल गए। फिर जेल से वापस आकर वे दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होकर आदिवासियों का विश्वास बढ़ाने और उनके बीच अपने प्रति सहानुभूति की लहर पैदा करने में सफल रहे। इसलिए सोरेन सरकार की सत्ता विरोधी लहर भी यहां भाजपा को सत्ता में नहीं ला सकी। सोरेन के खिलाफ की गई हर कार्रवाई को आदिवासियों ने शायद अपनी पहचान से जोड़ लिया और वे उनके साथ जुड़ गईं।

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