Haryana Assembly Elections 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को पैरोल मिलना एक बड़ा मुद्दा बन गया है। मतदान से ठीक चार दिन पहले राम रहीम को 20 दिन की पैरोल दी गई थी। उस समय सभी दलों ने इसको लेकर भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला था। विपक्ष ने भाजपा पर तीखे हमले किए थे। कांग्रेस और अन्य दलों ने आरोप लगाया था कि डेरा समर्थकों से वोट पाने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि चुनाव नतीजे इसके ठीक उलट साबित हुए। नतीजों से साफ पता चला कि राम रहीम की पैरोल से भाजपा को उतना फायदा नहीं हुआ, जितनी उम्मीद की जा रही थी। डेरा समर्थकों के प्रभाव वाली 28 सीटों में से कांग्रेस ने 15, जबकि भाजपा ने 10 सीटें जीतीं। बाकी सीटों पर अन्य दलों ने कब्जा किया।
डेरा सच्चा सौदा ने 2014 में भी भाजपा को समर्थन दिया था। Haryana Assembly Elections 2024
डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक समर्थन पिछले चुनावों में हमेशा कारगर नहीं रहा है। 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरा ने भाजपा का समर्थन किया था, लेकिन सिरसा में 5 में से 4 सीटें इनेलो और एक अकाली दल ने जीती थी। 2009 में डेरा ने डबवाली सीट पर अजय चौटाला के खिलाफ प्रचार किया था, फिर भी अजय चौटाला चुनाव जीत गए थे। 2005 में भी इनेलो के सीताराम के खिलाफ कांग्रेस के कर्मवीर सिहाग को समर्थन देने की डेरा की अपील बेअसर रही थी और सीताराम भारी अंतर से जीते थे।
हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा के 35 लाख भक्त हैं। Haryana Assembly Elections 2024
डेरा सच्चा सौदा के 35 लाख से ज्यादा अनुयायी हरियाणा में फैले हुए हैं, लेकिन राजनीतिक समर्थन के बावजूद चुनाव नतीजे अनुकूल नहीं रहे। 2012 के पंजाब चुनाव में भी डेरा ने कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थन किया था, लेकिन कैप्टन चुनाव नहीं जीत पाए थे। हाल के चुनाव में डेरा ने आदमपुर सीट पर भाजपा के भव्य बिश्नोई का समर्थन किया था, लेकिन वे भी कांग्रेस के चंद्र प्रकाश जंगा से हार गए थे। इससे यह साफ हो जाता है कि डेरा के समर्थन का चुनाव नतीजों पर कोई निर्णायक असर नहीं पड़ता।
डेरा सच्चा सौदा का हरियाणा के कई इलाकों में अच्छा खासा प्रभाव है
बीजेपी को उम्मीद थी कि राम रहीम की पैरोल से उसे डेरा समर्थकों का समर्थन हासिल करने में मदद मिलेगी, जिसका फायदा उसे चुनाव में मिलेगा। डेरा सच्चा सौदा का हरियाणा के कई इलाकों, खासकर सिरसा और फतेहाबाद जैसे जिलों में अच्छा खासा प्रभाव है। लाखों डेरा अनुयायियों को बीजेपी के पक्ष में वोट करने का निर्देश दिया गया था। सत्संग के दौरान भी समर्थकों से ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को बूथ पर लाने की अपील की गई थी। यह सब इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा था। हालांकि चुनाव नतीजे आने के बाद इस रणनीति की सफलता पर सवाल उठने लगे।
किस इलाकों में कांग्रेस को फायदा हुआ? Haryana Assembly Elections 2024
चुनाव नतीजों से साफ पता चला कि डेरा समर्थित इलाकों में कांग्रेस ने बीजेपी से बेहतर प्रदर्शन किया। कैथल, फतेहाबाद, सिरसा और हिसार जैसे जिलों में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की। खासकर सिरसा और टोहाना में, जहां डेरा समर्थकों की संख्या ज्यादा है, कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी चुनौती दी। इस बार कांग्रेस ने राम रहीम की पैरोल को लेकर ज्यादा शोर मचाने से परहेज किया, जिससे डेरा समर्थक इलाकों में उनके पक्ष में नाराजगी का असर कम देखने को मिला।
डेरा के समर्थन के बावजूद इन सीटों पर भाजपा की सफलता सीमित रही।
हालांकि, भाजपा ने कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर जीत भी दर्ज की। बरवाला, हांसी, हिसार और नीलोखेड़ी जैसी सीटों पर डेरा समर्थकों के समर्थन के बावजूद भाजपा की सफलता सीमित रही। पार्टी को इन इलाकों से बड़ी जीत की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस की मजबूत स्थिति और स्थानीय मुद्दों ने भाजपा की रणनीति को कमजोर कर दिया।
राम रहीम ने वर्ष 2014 में भी भाजपा का समर्थन किया था।
यह पहली बार नहीं था कि राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा ने किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन किया हो। वर्ष 2014 के चुनाव में भी राम रहीम ने भाजपा का समर्थन किया था, लेकिन तब भी भाजपा को डेरा समर्थक इलाकों में कोई खास फायदा नहीं मिला था। वर्ष 2007 के पंजाब विधानसभा चुनाव में जब डेरा ने कांग्रेस का समर्थन किया था, तब भी नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे थे। इससे यह सवाल उठता है कि क्या डेरा का राजनीतिक समर्थन वाकई चुनावों में निर्णायक साबित होता है?