जौनपुर MP-MLA कोर्ट ने धनंजय सिंह पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है. पुलिस कोर्ट में समर्थकों की भारी भीड़ के बीच किसी तरह से धनंजय को सुरक्षित जिला जेल की तरफ ले गई. धनंजय के वकील का कहना है कि वह इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। लेकिन धनंजय के जेल जाने के पीछे की कहानी क्या है? धनंजय ने कैसे जुर्म की दुनिया में कदम रखा? आइए जानते हैं….
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण और उनसे रंगदारी मांगने के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल कारावास की सजा सुनाई गई है. जौनपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने धनंजय सिंह पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है. पुलिस कोर्ट में समर्थकों की भारी भीड़ के बीच किसी तरह से धनंजय को सुरक्षित जिला जेल की तरफ ले गई. धनंजय के वकील का कहना है कि वह इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। अब धनंजय सिंह चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
कौन है धनंजय सिंह?
Who is Dhananjay singh: माफिया धनंजय सिंह ने 27 साल की उम्र में साल 2002 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा और जीत गया. इसके बाद 2007 में JDU के टिकट पर विधायक चुना गया. फिर BSP में शामिल हुआ. बसपा की टिकट से साल 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। बतौर सांसद जौनपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। धनंजय सिंह की जौनपुर संसदीय क्षेत्र में ठाकुर वोटबैंक पर अच्छी पकड़ रही. लेकिन उसके ऊपर लगे आरोपों ने उनके राजनीतिक करियर को ऐसा मोड़ दिया कि वे पूरी तरह से धंसता चला गया.
15 साल की उम्र में हत्या का आरोप
Dhananjay singh Kaun Hai: 16 जुलाई 1975 को धनंजय सिंह कोलकाता में पैदा हुआ. उनके जन्म के कुछ साल बाद पूरा परिवार जौनपुर आ गया. 1990 में 10वीं में था. महर्षि विद्या मंदिर के शिक्षक गोविन्द उनियाल की हत्या हो गई. नाम आया धनंजय सिंह का. पुलिस ने धनंजय को पकड़ लिया। इसके बाद उसे तीन परीक्षाएं पुलिस हिरासत में ही देनी पड़ीं।
यूनिवर्सिटी में स्थापित किया ठाकुरवाद
Who is Dhananjay singh: धनंजय सिंह आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंच गया. उसका पहला दोस्त बना अभय सिंह। यहां पढ़ाई के साथ राजनीति शुरू हो गई. धनंजय, अभय, बबलू और दयाशंकर सिंह में कोई रिश्ता नहीं था. लेकिन जाति के नाम पर सभी एकजुट हो गए. यूनिवर्सिटी में वर्चस्व बढ़ा तो ठेकों में दखल शुरू हो गया. हबीबुल्ला हॉस्टल इनकी दबंगई से चर्चा में आ गया. किसी को चाकू मारा गया हो, किडनैप किया गया हो या फिर कहीं गोली चली हो. इसी हॉस्टल का नाम आता और खोज होती धनंजय सिंह और उसके साथियों की. इस गुट का रेलवे के ठेकों में दखल बढ़ा. ये ठेके लेते नहीं थे, बल्कि बोली मैनेज करवाते थे. जिसे मिल जाती उससे गुंडा टैक्स वसूलते थे.
यूनिवर्सिटी से निकलने तक धनंजय पर 12 मुकदमें लद गए
Who is Dhananjay singh: साल 1997, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर गोपाल शरण श्रीवास्तव अपनी मारुति 800 कार से ऑफिस जा रहे थे. बाइक से आए दो बदमाशों ने ओवरटेक किया और सामने से आकर गोली मार दी. गाड़ी सड़क के किनारे बाउंड्री से टकरा गई. लोग जब तक पहुंचते तब तक गोपाल की मौत हो चुकी थी. इन दो बदमाशों में धनंजय नहीं था. लेकिन साजिश रचने का आरोप उसी पर लगा. घटना के बाद सारे आरोपी फरार हो गए. पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया। धनंजय पर अब तक कुल 12 से अधिक मुकदमें हो चुके हैं.
जब पुलिस रिकॉर्ड में मारा गया धनंजय
Who is Dhananjay singh: 17 अक्टूबर 1998, पुलिस को किसी ने सूचना दी कि आज भदोही-मिर्जापुर रोड के एक पेट्रोल पंप पर लूट होने वाली है. पुलिस सक्रिय हो गई. असलहा लेकर मोर्चा संभाल लिया। चार लोगों का एनकाउंटर कर दिया। कहा धनंजय सिंह को मार गिराया। इस तरह पुलिस रिकॉर्ड में धनंजय सिंह मर चुका था, लेकिन चार महीने बाद फरवरी 1999 में धनंजय सामने आया और पुलिस का सच को झूठा साबित हुआ. पुलिस ने जिस धनंजय सिंह को बताया था दरअसल वह ओमप्रकाश यादव थे. ओमप्रकाश सपा के कार्यकर्ता थे. उस समय सपा विपक्ष में थी. मुलायम सिंह ने भाजपा के खिलाफ हल्ला बोल दिया। ह्यूमन राइट्स कमीशन जांच बैठा दी. एनकाउंटर में शामिल 34 पुलिसवालों को सस्पेंड किया गया. उन पर मुकदमा चला.
राजनीति में कैसे आया धनंजय सिंह?
Who is Dhananjay singh: एक सरकारी शिक्षक ने मीडिया से बताया था कि उस वक्त जौनपुर में विनोद नाटे नाम का बाहुबली हुआ करता था. इलाके में उसका बड़ा प्रभाव था. दबंगई का स्तर ऐसा था कि लोग नाटे को मुन्ना बजरंगी का गुरु बताते थे. नाटे चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन इसी दौरान एक रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई. नाटे की शहादत का फायदा उठाया धनंजय सिंह ने. और राजनीति में कूद पड़ा. साल 2002 में रारी विधानसभा से धनंजय निर्दलीय विधायक बन गया. यहां से रॉबिनहुड की भूमिका में आ गया.
कई हत्याओं का आरोप लगा धनंजय सिंह पर
Who is Dhananjay singh: जुलाई 2018 में बागपत जेल के अंदर मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई. मुन्ना की पत्नी सीमा सिंह ने धनंजय पर आरोप लगाया। 5 जनवरी 2021 को लखनऊ के गोमतीनगर में अजीत सिंह उर्फ़ लंगड़ा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. अजीत सिंह कभी मोहम्मदाबाद विधानसभा के गोहना ब्लॉक का प्रमुख था. मुख़्तार अंसारी का खास था. इस हत्या में नाम आया धनंजय सिंह का. धनंजय फरार हो गया. पुलिस ने उस पर 25 हजार का इनाम घोषित करते हुए गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया।
तीन शादियां की है धनंजय सिंह ने
धनंजय सिंह ने पहली शादी साल 2006 में पत्नी मीनू सिंह से की थी. दस महीने बाद 2007 में उसकी मृत्यु हो गई. परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि पत्नी ने आत्महत्या की थी. साल 2009 में उसने दूसरी शादी डॉ. जागृति सिंह से की. आपसी असहमति के बाद वे अलग हो गए. इसके बाद साल 2017 उसने तीसरी शादी श्रीकला रेड्डी से की. जो कि एक भाजपा राजनीतिज्ञ थी.