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Dhadak 2 vs Periyerum Perumal: आखिर क्यों धड़क2 नहीं आई दर्शकों को पसंद,अपनी ओरिजिनल फिल्म से कहां रह गई पीछे

Dhadak 2 vs Periyerum Perumal

Dhadak 2 vs Periyerum Perumal

Dhadak 2 vs Periyerum Perumal: जब धड़क 2 का ट्रेलर(dhadak 2 collection) आया था तो उसे देखकर लग रहा था कि सैयारा (saiyaara collection) के बाद बॉलीवुड की एक और फिल्म सुपरहिट साबित होने जा रही है। फिल्म का म्यूजिक वैसे ही हिट हो चुका था और बस एक धड़क लोगों की जुबान पर चढ़ चुका था। फिल्म साउथ की सुपरहिट फिल्म Pariyerum Perumal का ऑफिशल हिंदी रीमेक थी। इन सब के बावजूद फिल्म को वैसा रिस्पांस नहीं मिला जैसा रिस्पांस मिलने की उम्मीद थी। आईए जानते हैं किन वजहों की वजह से धड़क टू दर्शकों को उतनी पसंद नहीं आई जितनी पसंद उनको Pariyerum Perumal आई थी।

Dhadak 2 vs Periyerum Perumal

1- सेंसर बोर्ड बना विलेन (dhadak 2 censorship)

धड़क 2 धर्मा प्रोडक्शंस के अंतर्गत बनी है इतने बड़े प्रोडक्शन हाउस से बनने के बावजूद फिल्म को सेंसर बोर्ड पर बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पहले तो सांसद बोर्ड ने फिल्म की रिलीज पर ही रोक लगा दी और लगभग 6 महीने तक इसे सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। उसके बाद जब फिल्म को सर्टिफिकेट मिला तो फिल्म में 16 कट लगे हुए थे और फिल्म अपने मूल रूप से भटक चुकी थी।

2- प्रेम कहानी बनी सोशल ड्रामा

धड़क2 की सबसे बड़ी मजबूती उसकी प्रेम कहानी होनी चाहिए थी, लेकिन धड़क2 से प्रेम कहानी ही नदारद थी। जिस वजह से जो दर्शक प्रेम कहानी देखने गए उन्हें एक सोशल ड्रामा देखना पड़ा और इस तरह से फिल्म अपनी मुख्य ऑडियंस से जुड़ने में असफल होती नजर आई।

3- ढीले संवाद और एडिटिंग (dhadak 2 week editing)

धड़क 2 जरूरत से ज्यादा लंबी फिल्म बन गई है । ऐसी कई जगह हैं जिन्हें फिल्म से निकाला जा सकता था लेकिन एडिटर ने शायद उन जगहों पर इतना ध्यान नहीं दिया। फिल्म में कई डायलॉग बहुत ही ढीले और बोझिल मालूम होते हैं जो दृश्य की इंटेंसिटी बढ़ाने की बजाय उन्हें काम करते नजर आते हैं। जिस वजह से दर्शक उसे सीन से उसे तरह से जुड़े ही नहीं पाते हैं जिस तरह से वह ओरिजिनल फिल्म के साथ जुड़े थे।

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4- असली कहनी गुम, नकली कहानी का परोसी गई

इस फिल्म का बेड़ा गर्क करने के पीछे सबसे बड़ा हाथ तो सेंसर बोर्ड का माना जाएगा। अगर किसी फिल्म के 16 बड़े सीन्स (dhadak2 16 schenes cut) को काट दिया जाए तो उसे फिल्म में बचता ही क्या है।रही सही कसम फिल्म के एडिटर ने पूरी कर दी। यह कह सकते हैं कि सेंसर बोर्ड और एडिटर से बचने के बाद जो फिल्म बचती है उसे खिचड़ी की तरह जैसे तैसे पूरी करके रिलीज कर दिया है।

5- डायरेक्टर के साथ नाइंसाफी ,फिल्म का विजन ही गायब

यहां देखने वाली बात यह भी होगी की फिल्म के मेकर्स ने फिल्म के डायरेक्टर के विजन का साथ देने की बजाय फिल्म को जल्दी रिलीज करना चुना। अगर मेकर्स फिल्म के डायरेक्टर का साथ देते हुए सेंसर बोर्ड के साथ इन सीन्स के कट होने पर लड़ाई की होती तो शायद हमें वह फिल्म देखने की मिलती जिसे डायरेक्टर ने मूल फिल्म के जैसा बनाया था। क्योंकि रिलीज हुई फिल्म मूल फिल्म से पूरी तरह से अलग और भटकी हुई लगती है।शायद यही वजह है कि यह फिल्म लोगों को इतना पसंद नहीं आ रही है

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