रीवा। मानस भवन में आयोजित पं. भैयालाल शुक्ल व्याख्यान माला, निष्काम कर्मयोग एवं सम्मान समारोह में बोलते हुए उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने बताया कि पूज्य पिताजी के नाम के प्रभाव से ही मैं राजनीति में आया। स्व. सुंदरलाल पटवा ने कुशाभाऊ ठाकरे से मेरा परिचय कराते हुए कहा था कि यह पं. भैयालाल शुक्ल के सुपुत्र हैं और उन्होंने मुझे राजनीति में प्रवेश कराया। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि पिताजी द्वारा प्रदत्त संस्कार, उनका आशीर्वाद और जनमानस के स्नेह सदैव सेवा कार्य करने के लिए प्रेरित करता है और ऊर्जा प्रदान करता है। पिताजी में निष्काम कर्मयोगी की तरह अंतिम समय तक काम करने की आदत थी।
लोगों की रहती है पैनी नजर
उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि लोगों की पैनी नजर हमेशा हमारे कार्यों पर रहती है। पिताजी ने भी हमेशा निष्काम कर्मयोगी की तरह कार्य करते हुए अपनी प्रतिष्ठा बनाई। उनके पुत्र होने का लाभ भी मुझे मिला। उनकी हमेशा से ही सीख रही है कि अपना संगठन बनाकर पूरी ईमानदारी से कार्य करो। उन्होंने मानस मण्डल द्वारा आयोजित स्तुति समारोह आयोजन के लिए आयोजकों साधुवाद दिया और आश्वस्त किया कि मानस भवन को और भव्यता मिलेगी।
इस तरह के आयोजनों की जरूरत
कार्यक्रम में जगदगुरू रामललाचार्य ने कहा कि निष्काम कर्म में किसी भी प्रकार की आकांक्षा नहीं होती। पं. भैयालाल शुक्ल निष्काम कर्मयोगी थे। उन्होंने कहा कि स्व. भैयालाल शुक्ल के सत्कर्मों से ही उप मुख्यमंत्री अनथक कार्य कर रहे हैं। उनकी सौम्यता व कार्य करने की ललक ने ही रीवा और विन्ध्य को विकास की ऊंचाईयों तक पहुंचाया है। स्व. भैयालाल के सुपुत्र उप मुख्यमंत्री भी निष्काम कर्मयोगी ही हैं। उन्होंने विन्ध्य में अनेकों विकास के साथ ज्ञान परंपरा को अक्षुण्य रखते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना कराई। जगदगुरू ने अपेक्षा की कि इस प्रकार के आयोजन मानस भवन में होते रहें जिससे महान विभूतियों का पुण्य स्मरण हो और आने वाली पीढ़ी को भी संदेश मिले।
ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में सांसद जनार्दन मिश्र, विदुषी ज्ञानवती अवस्थी, वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम सिंह, प्रो. जयराम शुक्ल, पूर्व न्यायाधीश अरूण सिंह ने पं. भैयालाल शुक्ल को स्मरण करते हुए उनके उदार भाव की चर्चा की। मानस मंडल के अध्यक्ष व कार्यक्रम के आयोजक सुभाष पाण्डेय ने कहा कि मानस भवन के स्थापना दिवस दशहरा पर्व में आयोजन पं. भैयालाल शुक्ल के मानस भवन की स्थापना में किए गए योगदान का पुण्य स्मरण है। इसे आध्यात्मिक अनुसंधान केन्द्र बनाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने मानस भवन के विस्तार की कार्ययोजना के संबंध में भी जानकारी दी। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियों का शॉल, श्रीफल व प्रतीक चिन्ह सौंपकर सम्मान किया गया।