दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में ED ने 8वीं चार्टशीट दाखिल की है. इस चार्टशीट इ केजरीवाल के साथ पूरी की पूरी आम आदमी पार्टी को ही आरोपी बना दिया गया है. देश के राजनितिक इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब किसी केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक राजनितिक पार्टी को ही खटघरे के सामने लाकर खड़ा कर दिया है. अब ED के इस कदम से कई सवाल पैदा होते हैं. जैसे ये समझना तो आसान है कि कोई व्यक्ति किसी मामले में दोषी पाया जाता है तो सजा का पात्र होता है मगर किसी पार्टी पर ही दोष सिद्ध हो जाए तो क्या होगा? क्या आरोप सच साबित होने के बाद आम आदमी पार्टी पर बैन लगा दिया जाएगा? इस सवाल का जवाब हम आगे जानेंगे पहले ये जानते हैं कि आखिर ED का आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने के पीछे का क्या लॉजिक है?
ED का कहना है कि शराब नीति में बदलाव करने के बदले साउथ ग्रुप ने पार्टी को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत दी, इसमें से 45 करोड़ रुपए का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव के लिए किया। इसी लिए ED ने न सिर्फ केजरीवाल बल्कि AAP पर भी PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। ED के इस एक्शन से दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले की जाँच का पॉइंट ऑफ़ व्यू भी बदलेगा। क्योंकि अबतक आरोप दिल्ली सरकार पर थे जो अब आम आदमी पार्टी पर स्विफ्ट हो गया है. अब इस मामले में केजरीवाल, सिसोदिया और अन्य लोगों के खिलाफ पार्टी का पदाधिकारी होने के नाते भी मामला चलेगा।
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर आम आदमी पार्टी पर लगाए गए आरोपों को ED सिद्ध कर देती है तो क्या होगा? चुनाव चिन्ह आदेश 1968 के मुताबिक आचार संहिता के उल्लंघन या चुनाव आयोग के आदेश का पालन नहीं करने परपार्टी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. इसकेआधार पर पार्टी की मान्यता भी रद्द करने की मांग की जा सकती है.