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दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म डायरेक्टर सनोज मिश्रा को दी जमानत, महिला ने स्वीकारी झूठी शिकायत

delhi highcourt

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Sanoj Mishra Bail: महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर हलफनामे में झूठा स्वीकार किया है। महिला ने बताया कि वह सनोज मिश्रा के साथ सहमति से लिव-इन रिलेशनशिप में थी और शिकायत उनके विरोधियों के उकसावे पर दर्ज की गई थी। महिला ने कोर्ट को बताया कि वह सनोज के साथ सहमति से संबंध में थी और आरोप बेबुनियाद हैं। जमानत का फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि यह मामला समाज में बढ़ती झूठी यौन उत्पीड़न शिकायतों का एक और उदाहरण है।

Sanoj Mishra Bail: दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म डायरेक्टर सनोज मिश्रा को बड़ी राहत देते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया है। मिश्रा पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया था, जिसे अब महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर हलफनामे में झूठा स्वीकार किया है। महिला ने बताया कि वह सनोज मिश्रा के साथ सहमति से लिव-इन रिलेशनशिप में थी और शिकायत उनके विरोधियों के उकसावे पर दर्ज की गई थी।

स्पेशल बेंच ने की मामले की सुनवाई

जस्टिस गिरिश कथपालिया की अध्यक्षता में दिल्ली हाई कोर्ट की विशेष बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। आमतौर पर फुल कोर्ट रिफरेंस के बाद न्यायिक कार्यवाही नहीं होती, लेकिन सनोज मिश्रा की निजी स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए विशेष बेंच का गठन किया गया।

30 मार्च को हुई थी गिरफ्तारी

सनोज मिश्रा को 30 मार्च को आईपीसी की धारा 376 (रेप), 354C (वॉयरिज्म), 313 (गर्भपात करवाना), 323 (मारपीट), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन पर एक छोटे कस्बे की युवती के साथ शारीरिक शोषण और ब्लैकमेलिंग का आरोप था, जो अभिनेत्री बनना चाहती थी। हालांकि, मिश्रा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका रिश्ता आपसी सहमति पर आधारित था।

महिला का बयान: विरोधियों के बहकावे में आई

सरकारी वकील द्वारा पेश स्टेटस रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि महिला ने सनोज के विरोधियों के कहने पर झूठी शिकायत दर्ज की थी। महिला ने कोर्ट को बताया कि वह सनोज के साथ सहमति से संबंध में थी और आरोप बेबुनियाद हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

जमानत का फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि यह मामला समाज में बढ़ती झूठी यौन उत्पीड़न शिकायतों का एक और उदाहरण है। ऐसी शिकायतें न केवल आरोपी को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि समाज में अविश्वास और संदेह का माहौल भी पैदा करती हैं। इससे वास्तविक पीड़ितों की सच्ची शिकायतों पर भी भरोसा कम होता है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि ऐसी झूठी शिकायतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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