कोर्ट ने कहा कि चुनाव के समय (DELHI ASSEMBLY ELECTION) पार्टियां कई मुफ्त वादे करती हैं, लेकिन जजों के वेतन और पेंशन के लिए पैसों की कमी है
NEW DELHI: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। राज्यों द्वारा दी जा रही मुफ्त रेवड़ियों को लेकर कोर्ट (DELHI ASSEMBLY ELECTION) ने बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकारों के पास नि:शुल्क योजनाओं के लिए तो पैसा है, लेकिन जजों के वेतन और पेंशन के लिए पैसा नहीं है।
दलों द्वारा किए गए वादों का उदाहरण दिया
जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ‘लाडली ब्राह्मण योजना’ और दिल्ली चुनाव (DELHI ASSEMBLY ELECTION) से पहले राजनीतिक दलों द्वारा किए गए वादों का उदाहरण दिया। यह टिप्पणी ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान आई। यह याचिका दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने को लेकर थी।
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DELHI ASSEMBLY ELECTION की घोषणा के बाद टिप्पणी
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार को न्यायिक अधिकारियों के वेतन और सेवानिवृत्ति लाभ तय करते समय वित्तीय बाधाओं पर विचार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राज्यों के पास उन लोगों के लिए पैसा है जो कोई काम नहीं करते।’ पीठ ने चुनाव के दौरान मुफ्त योजनाओं की घोषणा पर चिंता व्यक्त की।
जजों के वेतन व पेंशन के लिए पैसों की कमी
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें मुफ्त योजनाओं के लिए पैसा खर्च कर सकती हैं। लेकिन जजों के वेतन और पेंशन के लिए पैसे नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव के समय (DELHI ASSEMBLY ELECTION) पार्टियां कई मुफ्त वादे करती हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि जजों के वेतन और पेंशन के लिए पैसों की कमी है। यह चिंता का विषय है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।