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Deewali 2023: सत- आचरण के तेल से जलाएं निर्मल मन की बाती।

Deewali 2023

Deewali 2023

Deewali 2023: स्कंद पुराण में कहा गया है की मां लक्ष्मी ब्रह्मा पूजा की अपेक्षा अंतरिक्ष सुचिता पर अधिक प्रसन्न होती है। यदि उसका पालन कर लिया जाए तो बिना किसी टोना टोटका की उपासक हर दृष्टि से खुशहाल रहेगा। उक्त ग्रंथ के अनुसार पांच दिवसीय दीपावली पर्व तक पांच निषेधों की जरूर मानने की सलाह दी गई है जिनकी अनुपालन से भक्तों को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद जरूर प्राप्त होता है।

पांच दिवसीय पर्व दीपावली पर दूसरों की कृपा प्राप्त करने के लिए पहले व्यक्ति को स्वयं में पात्रता विकसित करनी चाहिए. इसके लिए बहुत तंत्र-मंत्र, टोना टोटका की जरूरत नहीं. सिर्फ जिस प्रकार घर और प्रतिष्ठान आदि को साफ सुथरा करते हैं उसी प्रकार व्यक्ति को अपने मन मस्तिष्क,भाव विचार को साफ सुथरा करके पवित्र कर लेना चाहिए। व्यक्ति को कोई सामग्री संग्रहित करने के लिए जैसे बिना टूटे-फूटे अच्छे पात्र की जरूरत होती है वैसे ही भगवान नारायण की पत्नी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अधकचरेपन की प्रवृत्ति से दूर तो रहना ही चाहिए।

उक्त पुराण के वैष्णव खंड के 110वें अध्याय में पांच दिवसीय दीपावली पर्व तक पांच निषेधों को जरूर मानने की सलाह दी गई है, जिसमें जीव हिंसा, परायी स्त्री के प्रति वासनात्मक भाव या संबंध, नशा चोरी और छल। इस प्रवृत्तियों से जब व्यक्ति दूर होता है तब उसी क्षण मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है। व्यक्ति सन्मार्ग पर चलता है वह अपने जीवन का बहुत ही आध्यात्मिक,मानसिक, सांसारिक लक्ष्य निर्धारित करता है।

इस पांच दिवसीय दीपावली पर्व पर घर के मुख्य द्वार और आंगन में तिल के तेल का दीपक जरूर जलाना चाहिए क्योंकि तिल के तेल में लक्ष्मी का वास होता है धर्म में निरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि नरक चतुर्दशी को ही भगवान विष्णु ने वामन बनकर राजा बलि से तीन पग जमीन मांगा और 3 दिन में तीनों लोक ले लिया। बलि ने इन तीन दिनों तक धरती पर उत्सव की प्रार्थना की विष्णु जी ने धनतेरस से अमावस्या तक हर वर्ष उत्सव की बलि की प्रार्थना स्वीकार कर ली थी दीपावली पर घर के बड़े सदस्यों के सम्मान के साथ पितरों का श्रद्धापूर्वक स्मरण करना चाहिए क्योंकि उनकी कृपा से जीवन मिला है। इस प्रकार मन की पवित्रता यदि नहीं है तो महंगे से महंगे सामान,वस्तुओं से भी पूजा का लाभ नहीं मिलेगा। पांच दिवसीय प्रकाश की पर्व का आशय भी पांच ज्ञानेंद्रिय को पवित्र के दीए में सात आचरण के तेल और निर्मल मन की भांति से प्रकाशित करने का मुख्य रूप से है।

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