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अस्पताल की ऐसी हरकत कि शव को भी ICU में एडमिट कर दिया!

UP HOSPITALS

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गोरखपुर में पुलिस को कुछ निजी अस्पतालों के बारे में खबर मिली थी कि वहां इलाज के नाम पर मरीजों को लूटा जा रहा है. इतना ही नहीं डॉक्टर्स के नाम पर अनट्रेंड लोग मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ये खबर मिलते ही पुलिस हरकत में आती है और एक शहर के एक अस्पताल में छापा मारती है. पुलिस जब अस्पताल के आईसीयू में पहुंचती है, तो ये देखकर दंग रह जाती है कि वहां दो दिन पहले मर चुके एक व्यक्ति को ऑक्सीजन मास्क लगाकर उसका इलाज किया जा रहा था. कुल मिलकर उस अस्पताल में मुर्दे का इलाज किया जा रहा था. आइए जानते हैं इस गोरखपुर के इस गोरखधंधे के बारे में…..

Treatment of dead body in hospitals of UP, Treatment of Dead Body: गब्बर फिल्म का वो सीन तो आपने देखा होगा जिसमें एक मरे हुए आदमी को उसकी बीबी अस्पताल लेकर आती है और अस्पताल प्रबंधन उसका इलाज करने के लिए उसे एडमिट कर लेता है. ऐसे ही कई मामले गोरखपुर की अस्पतालों में मिले। गोरखपुर में पुलिस को कुछ निजी अस्पतालों के बारे में खबर मिली कि वहां इलाज के नाम पर मरीजों को लूटा जा रहा है. ये खबर मिलने के बाद पुलिस हरकत में आती है और शहर के एक अस्पताल में छापा मारती है. पुलिस जब अस्पताल के आईसीयू में पहुंचती है, तो ये देखकर दंग रह जाती है कि वहां दो दिन पहले मर चुके एक व्यक्ति को ऑक्सीजन मास्क लगाकर उसका इलाज किया जा रहा था.

इलाज के नाम पर लूट की भरमार

सिर्फ पैसों के लिए मरीजों की जान चली जाने के बाद भी उन्हें आईसीयू में रख कर इलाज का ड्रामा करने की शिकायतें तो अक्सर सुनने को मिलती हैं, लेकिन किसी रोज सचमुच ऐसा देखने को मिल जाएगा और ऐसी हरकत करने वाले डॉक्टर रंगे हाथों पकड़े जाएंगे, ये किसी ने नहीं सोचा था. लेकिन यूपी के शहर गोरखपुर में ऐसा ही हुआ.

मुर्दों का इलाज किया जाता है

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर लोगों को लूटने और ब्लैकमेल करने की शिकायतों की जांच करती हुई अलग-अलग अस्पतालों में छापेमारी कर रही थी. इसी छापेमारी के दौरान उन्हें ईशु अस्पताल में कुछ ऐसा दिखा, जो सच से परे था। यहां अस्पताल के आईसीयू में डॉक्टर्स ने एक लाश को ऑक्सीजन मास्क लगा कर छोड़ दिया था और ये बता रहे थे कि मरीज का इलाज चल रहा है.

दो दिन पहले हो चुकी थी मरीज की मौत

मरीज की जान अस्पताल में छापेमारी से पहले जा चुकी थी. वो छापे से दो दिन पहले जी मर चुका था. छापेमारी करे पहुंची पुलिस और खुद जिले के सीएमओ ने जब ये मंजर देखा, तो हैरान रह गए, इसके बाद उन्होंने न सिर्फ अस्पताल के मालिक पर कार्रवाई के आदेश दिए, बल्कि अस्पताल के मुलाजिमों को भी गिरफ्तार कर लिया और अस्पताल को सील कर दिया।

यूपी के कई जिलों में चल रहा चिकित्सा माफिया का बोलबाला

गोरखपुर समेत उत्तरप्रदेश के कई जिलों में सालों से चिकित्सा माफिया का बोलबाला चलता आ रहा है. इनकी मॉडस ऑपरेंडी बड़ी सीधी सी है. इनके एजेंट्स सरकारी अस्पतालों में छुपे होते हैं. वो कोई वार्ड ब्वॉय, फर्मासिस्ट या फिर कोई डॉक्टर भी हो सकता है. जैसे ही परेशान लोग अपने मरीजों को लेकर सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचते हैं, ये एजेंट्स सरकारी अस्पताल में सुविधाएं न होने का रोना रोते हुए उन्हें डराने की कोशिश करने लगते हैं.

जानें कैसे होता है सारा खेल

इसके बाद खुद ही मददगार बन कर उन्हें किसी प्राइवेट अस्पताल में जाने का सुझाव देते हैं। मरीज की जिंदगी का ख्याल रखते हुए घरवाले अब किसी निजी अस्पताल में जाना चाहते हैं. तब सरकारी अस्पताल में किसी प्राइवेट एंबुलेंस वाले को बुलाकर मरीज को वहां से दूसरी जगह के लिए रवाना कर दिया जाता है, उधर प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम में इसके बाद मरीज के घरवालों से लूट का सिलसिला शुरू हो जाता है.

प्रशासन को कई बार मिलीं शिकायतें

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लंबे समय से चल रहे इस रैकेट की शिकायत शासन-प्रशासन को मिल रही थी, जिसके बाद प्रशासन ने अलग-अलग अस्पतालों और नर्सिंग होम्स पर छापेमारी की और ऐसे कई मामलों का खुलासा किया। इनमें कई नर्सिंग होम और प्राइवेट अस्पताल तो ऐसे थे, जिसका लाइसेंस भर किसी डॉक्टर के नाम पर था.जबकि बाकी का सारा काम फर्मासिस्ट, पैरामेडिकल स्टॉफ, कंपाउंडर संभालते हैं.

ऐसा अस्पताल जहां डॉक्टर ही नहीं थे

देवरिया के रेवली गांव के रहने वाले शिव बालक प्रसाद के मामले में ऐसा ही हुआ. बता दें कि 72 साल के शिव बालक प्रसाद की तबीयत जब अचानक बिगड़ी तो उनके बेटे पहले उन्हें लेकर देवरिया के महर्षि देवराहा बाबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, वहां कुछ देर इलाज के बाद उन्हें बीआरडी गोरखपुर रेफर कर दिया गया. लेकिन इसके बाद वो मेडिकल माफिया के रैकेट में फंस गए. जिन्होंने मरीज और उसके घरवालों को अलग-अलग जगह घुमाते हुए आखिरकार उन्हें ईशू अस्पताल में भर्ती करा दिया। एक ऐसा अस्पताल जहां कोई डॉक्टर ही नहीं है.

8 लोगों की गिरफ्तारी हुई

जब शिव बालक प्रसाद को ईशू अस्पताल लाया गया तो कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई थी. लेकिन सुबह से लेकर रात हो गई और अस्पताल मरीज की लाश का इलाज करने का ड्रामा करता रहा. इस बीच उनसे हजारों रुपए वसूल लिए गए. बहरहाल, गोरखपुर पुलिस ने इस सिलसिले में 8 लोगों को पकड़ा है, जिनमें अस्पताल के संचालक, डॉक्टर, मैनेजर, एंबुलेंस, ड्राइवर और दूसरे लोग शामिल हैं. इस मामले में आगे भी जानकारी जुटाई जा रही है.

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