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Dancer Yamini Krishnamurthy Death | भारतीय शास्त्रीय नृत्य को पूरी दुनिया में फैलाने वाली महान नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति अब नहीं रहीं

Dancer Yamini Krishnamurthy Death Reason

Dancer Yamini Krishnamurthy Death Reason

Dancer Yamini Krishnamurthy Death Reason, Biography In Hindi: भारतीय शास्त्रीय नृत्य को पूरी दुनिया में फैलाने वाली भरतनाट्यम और कुचीपुड़ी की महान नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति अब हमारे बीच नहीं रहीं, उन्होंने अपने नृत्य से अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की अपना पूरा जीवन इस कला को समर्पित करते हुए उन्होंने 84 साल की उम्र में 3 अगस्त 2024 को अंतिम सांस ली ।

Dancer Yamini Krishnamurthy Biography

20 दिसंबर 1940 को भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले के मदनपल्ली में जन्मीं यामिनी का पूरा नाम मुंगारा यामिनी कृष्णमूर्ति था आपके पिता एम. कृष्णमूर्ति संस्कृत के विद्वान थे, यामिनी ने पाँच साल की उम्र में चेन्नई के स्कूल ऑफ़ डांस में भरतनाट्यम नृत्यांगना रुक्मिणी देवी अरुंडेल के मार्गदर्शन में नृत्य की शिक्षा शुरू की थी और फिर मद्रास में वेदांत लक्ष्मीनारायण शास्त्री से कुचिपुड़ी नृत्य सीखा 1957 में मद्रास में भरतनाट्यम प्रदर्शन के साथ अपने नृत्य करियर की शुरुआत की, इस अवधि के दौरान उनके गुरुओं में कांचीपुरम एलप्पा पिल्लई, किट्टप्पा पिल्लई, धनदुथपानी पिल्लई और मायलापुर गौरी अम्मल शामिल थे।

दुनिया में नृत्यों को लोकप्रिय बनाया

यूं तो उन्होंने भरतनाट्यम से शुरुआत की लेकिन कुचिपुड़ी और ओडिसी नृत्य के साथ भी अपने कौशल का विस्तार करती गईं और पूरी दुनिया में इन नृत्यों को लोकप्रिय बनाया । उनके योगदान को मान्यता देते हुए, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की अस्थाना नर्तकी के रूप में उन्हें नियुक्त किया गया । उन्होंने नई दिल्ली के हौज़ खास में अपना स्वयं का नृत्य प्रशिक्षण संस्थान, यामिनी स्कूल ऑफ़ डांस स्थापित किया और युवाओं को भी जोड़ा ।

नृत्य रूपों में उनकी कुछ भूमिकाएं सदा यादगार रहेंगी जैसे :- ‘ क्षीरसागरमधना’ में मोहिनी के रूप में, ‘ भामाकल्पम ‘ में सत्यभामा के रूप में,’ उषापरिणयम’ में उषा के रूप में और ‘ ससिरेखापरिनयम’ में ससिरेखा के रूप में । आपने श्रीवेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की , आपको सन 1968 में पद्म श्री , 2001 में पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाज़ा गया और 1977 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 1995 में उन्होंने अपनी आत्मकथा, “ए पैशन फ़ॉर डांस” प्रकाशित की थी जो हर कला प्रेमी के लिए अनुपम उपहार है।

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