Crude Oil Rate in India: मध्य पूर्व एशिया में चल रहे भू राजनीतिक तनाव ने एक बार फिर से भारत को परेशान कर दिया है। हाल ही में यह खबर सामने आ रही है कि इजरायल ईरान (israel iran war) की परमाणु सुविधाओं पर सैन्य हमले की तैयारी कर रहा है। हालांकि अब तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है परंतु इस बात की अफवाह मात्र से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में उछाल आ गया है। जिसके चलते सभी देशों के लिए यह एक चिंता का विषय बन गया है। अन्य देशों के साथ-साथ भारत के लिए भी यह एक चुनौती बनकर उभर रहा है।

इज़रायल कर रहा है ईरान पर हमले की तैयारी?(war between israel and iran)
जी हां, सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी खुफिया जानकारों से यह संकेत मिला है कि इजरायल ईरान की परमाणु सुविधा (iran nuclear facility) पर संभावित सैन्य हमले की तैयारी कर रहा है। यदि इसराइल इस कदम को आगे बढ़ाता है तो भारत समेत अन्य देशों को तेल आयात करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा जिसके चलते तेल आपूर्ति प्रभावित होगी और तेल महंगा हो सकता है।
बता दे ईरान OPEC के सदस्यों में तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। यदि इजरायल ईरान पर हमला करता है तो ईरान से उत्पादित होने वाले तेल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इस चक्कर में ईरान द्वारा स्ट्रेट आफ होमेज को बंद करने की आशंका भी जताई जा रही है जो कि तेल परिवहन का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है। यही से अन्य देशों को कच्चे तेल का निर्यात होता है।
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यदि भविष्य में ऐसा कुछ होता है तो भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा(israel-iran war ka bharat par kya asar hoga)
यदि भविष्य में ऐसा कुछ होता है तो ईंधन की कीमतों में भारी उछाल देखा जाएगा। भारत अपने कच्चे तेल की जरूरत का 85% आयात करवाता है यदि बाजार में तेल महंगा (rate of crude oil)हो जाता है तो भारत में महंगाई बढ़ जाएगी। इस महंगाई का सीधा असर लोगों पर पड़ेगा। खासकर पेट्रोल, डीजल और गैस(hike in the rate of petrol, diesel and gas) की कीमत में वृद्धि होगी। इसके चलते देश में रुपए की कीमत कमजोर हो जाएगी और विदेशी निवेश भी प्रभावित होने लगेगा।
कुल मिलाकर इज़राइल और ईरान के बढ़ते इस तनाव की वजह से वैश्विक तेल बाजार में अनिश्चतता बढ़ गई है। यदि स्थिति और बिगड़ती है तो तेल आपूर्ति में बाधा आएगी और भारत को इसका सीधा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। ऐसे में सरकार तेल के भंडारण पर पूरा ध्यान दे रही है परंतु यदि भविष्य में ऐसा होता है तो विकास परियोजनाओं की फंडिंग पर असर पड़ेगा और भारत में तेल महंगा होने से मुद्रास्फीति भी बढ़ जाएगी जिससे आर्थिक विकास की रफ्तार और ज्यादा धीमी हो जाएगी।