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क्रिकेट की सट्टेबाजी, कैसी तय होती है, कैसी होती है स्पॉट फिक्सिंग जाने सब कुछ

spot fixing

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क्रिकेट से हर कोई परिचित है. इसमें सट्टेबाजी भी होती है. हर मैच में सट्टे का भाव टीमों के रिकॉर्ड, विकेट, मौसम कई पहलुओं को ध्यान में रखकर तय होते हैं. हमारे देश में इन दिनों आईपीएल का 17वां सीजन जारी है. क्रिकेट की, भारत ही नहीं पूरी दुनिया दीवानी है. आईपीएल हो या किसी भी फॉर्मेट में खेला जाने वाला मैच, इसकी दीवानगी अब मैच देखने तक सिमित नहीं रही. बल्कि, लोगों ने इस खेल को कमाई का एक जरिया बना लिया है. इसको लेकर ऑनलाइन सट्टा भी पूरी दुनिया में फैल चूका है. लोग कई एप्स के जरिए मैच में पइसा लगाते हैं. इसमें कुछ सोशल मीडिया पर चलने वाले एप्स हैं तो कुछ अपने कॉन्टेक्ट से सभी जगह बैठे बुकी के माध्यम से इसमें सट्टा लगा रहे हैं. पहले तो मैच के हार और जीत पर ही सट्टेबाजी चलती थी, लेकिन आजकल हर गेंद पर दांव लगाया जाता है. साथ ही मैच की हर छोटी से छोटी गतविधियों पर भी सट्टा खेला जा रहा है. आइए आपको बतातें है कि ये सट्टेबाजी कैसे होती है और कैसे चलता है ये धंधा।

स्पॉट फिक्सिंग

पहले पूरे मैच के नतीजे फिक्स किए जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब स्पॉट और फैंसी फिक्सिंग से ही काम चल जाता है. पूर्वी दिल्ली की एक बुकी के अनुसार अब मैच फिक्स करने की जरुरत नहीं, स्पॉट फिक्सिंग से ही भरपूर कमाई हो जाती है. स्पॉट फिक्सिंग का अर्थ है मैच के किसी खास हिस्से को फिक्स कर देना। वहीं पंजाब की बात करें तो वहां फैंसी फिक्सिंग काफी लोकप्रिय है. इसमें मैच की एक-एक गेंद पर कितने रन बनेंगे, कौनसा बैट्समैन कितने रन बनाएंगा, पूरी पारी में कितने रन बनेंगे, इन सब पर सट्टा लगता है.

रेट कैसे तय होता है

भारत में क्रिकेट की जो सट्टेबाजी होती है, वो अवैध है. इसके रेट दुबई या पाकिस्तान से तय होते हैं. फिर उसके बाद भारत के सटोरियों और अन्य जगहों में पहुंचाई जाती है. ये रेट सबसे पहले मुंबई पहुंचते हैं. फिर वहां से छोटे बुकीज और फिर बड़े बुकीज के पास पहुंचाते हैं. अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर उसका रेट 80- 83 आता है, तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाने पर एक लाख रूपए मिलेंगे। दूसरी टीम पर 83 हजार लगाने पर एक लाख जीत सकते है. लेकिन जिस टीम पर सट्टा लगाया है वो टीम अगर हार गई तो लगाया गया पूरा पैसा डूब जाएगा।

पंटर और बुकी जैसे शब्द अपने सुने होंगे ये क्या होता है जान लीजिए. सट्टे पर पैसे लगाने वाले को पंटर कहते हैं. वहीं सट्टे के स्थानीय संचालक को बुकी कहा जाता है. [11] सट्टे के इस खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है. सट्टा लगाने वाले पंटर दो शब्दों खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं. यानि किसी टीम को फेवरेट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाया कहते हैं. ऐसे ही दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं.

क्या होता है सट्टेबाजी का डिब्बा इस पर भी बात कर लेते हैं. क्रिकेट सट्टेबाजी में हर पल का हाल जानने के लिए एक उपकरण इस्तेमाल किया जाता है, जिसे डिब्बा कहते हैं। जिस इंस्ट्रूमेंट में ये रेट आते हैं, उसे सट्टेबाजी की दुनिया में डिब्बा कहा जाता है। दरअसल ये ऑनलाइन का ही एक उपकरण होता है। जो टेलीफोन लाइन या मोबाइल के जरिए चलता है। इस डिब्बे पर सट्टेबाजी के रेट आते हैं। पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में लाइन का ही करोड़ों, अरबों का व्यवसाय है। ये डिब्बा आमतोर पर सटोरियों ओर मुख्य सटोरियों के पास होता है, लेकिन पंटर भी ये कनेक्शन ले सकते हैं। इसके बदले उन्हें इसका कनेक्शन और किराया देना होता है। डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर से होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरु हो जाती है।

क्या होता रेट का कोड वर्ड, अब इसको समझते हैं. मैच की पहली गेंद से लेकर टीम की जीत तक भाव चढ़ते-उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है। अगर किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो फोन कर एजेंट को मैंने चवन्नी खा ली यह कहना होता है।

कहां तय होते हैं कोड वर्ड

करोड़ों के सट्टे में बुकीज कोड वर्ड के जरिए हर गेंद पर दांव चलते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि ये कोड नेम हिंदुस्तान से नहीं वल्कि जहां से सट्टे की लाइन शुरु होती है, वहीं इन कोड नेम का नामकरण किया जाता है। जी हा ये कोड दुबई और कराची में रखे जाते हैं। कोड वर्ड का ये सारा खेल मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से बचने के लिए किया जाता है।

आईपीएल के हर मैच पर कितनी सट्टेबाजी चार साल पहले माना गया था कि भारत में हर बड़े क्रिकेट मैच पर करीब तीन बिलियन डालर यानि तीन सौ करोड़ रुपए का कारोबार होता है। ऐसा ही हाल पाकिस्तान का है। आईपीएल जैसी लीग अपने चरित्र और खेल के फार्मेंट के कारण सट्टेबाजों और फिक्सरों के लिए मुफीद बन चुका है। अंदाज है कि हर आईपीएल मैच पर करीब डेढ़ बिलियन डालर यानि डेढ़ सौ करोड़ रुपए की सट्टेबाजी होती है। वहीं पाकिस्तान की पाकिस्तान सुपर लीग में भी सट्टेबाजों का जाल कसा हुआ है.


सट्टे की शर्ते क्या है वो भी जान लेते हैं क्रिकेट मैच में सट्टा आंख बंद करके नहीं लगाया जाता। बुकीज और पंटर दोनों भाव लगाने व खोलने से पहले यह भी देखते हैं कि मैच किन दो टीमों के बीच खेला जाएगा। यही नहीं मैच किस जगह खेला जाएगा, पिच किस प्रकार की होगी, वहां का तापमान कैसा होगा और टीम में कौन- कौन से खिलाड़ी होंगे। ये सब जानने के बाद किसी मैच में सट्टा का भाव तय किया जाता है.

सट्टेबाजी और फिक्सिंग का कारोबार करीब पांच साल पहले सीबीआई के एक सेमिनार में वो तीन नाम उजागर किए गए थे। जो एशिया में बैठकर पूरी दुनिया में खेलों की अवैध सट्टेबाजी और फिक्सिंग को अंजाम देते हैं। ये वो लोग हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा धंधा खड़ा किया। ये इतने सुव्यवस्थित तरीके से चलता है कि आप सोच भी नहीं सकते। खेलों में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा कारोबार एशिया में जड़ें जमा चुका है।

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